________________ जिन्हें तुम मन में लिए हुए हो, और उन घावों का बोधि से कोई लेना-देना नहीं है। वे घाव किसी और ने दिए होंगे, या शायद किसी व्यक्ति ने नहीं बल्कि समाज ने ही दिए हों। जब भी तुम विक्षिप्त ढंग से, विक्षिप्त शैली में व्यवहार करने लगो, स्वयं को देखो। इस व्यवहार को देखो। जैसे कि बोधि तुमको देख रहा है, तुम भी अपने आपको देखो। और इस देखने से एक दूरी उत्पन्न हो जाएगी, और तुम अपने मन को अनावश्यक परेशानी निर्मित करते हुए देखने में समर्थ हो जाओगी, तुमको एक सजगता प्राप्त होगी। चीजों को सतत देखते रहने से व्यक्ति मन से बाहर आ जाता है, क्योंकि देखने वाला मन के पार है। यदि तुम ऐसा नहीं करती हो, तो संभावना यही है कि बोधि और और दार्शनिक और समझदार होता जाएगा और तुम और अधिक छिद्रान्वेषी हो जाओगी, क्योंकि तुम सोचोगी कि वह उदासीन हुआ जा रहा है, तुम सोचोगी कि वह दूर जा रहा है, और तुम उसको और कठोरता से चोट मारना आरंभ कर दोगी, तुम और अधिक कलह करना आरंभ कर दोगी। यह देख कर कि वह कहीं और जा रहा है, तुमको छोड़ रहा है, तुम और अधिक प्रतिशोध लेने लगोगी। इससे पहले कि यह घटित हो, सजग हो जाओ। मैंने सुना है, एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी के अंतिम संस्कार के खर्चों को किस्तों में चुकाने की व्यवस्था की, किंतु कुछ महीने बाद उसे कुछ वित्तीय परेशानियां आ गईं और वह भुगतान जारी नहीं रख पाया। अंततोगत्वा व्यवस्थापक ने उसको फोन किया और कहा, देखो, या तो मुझे तुमसे तुरंत कुछ धन मिल जाए या तुम्हारी पत्नी फिर लौट कर आ रही है। ऐसी परिस्थिति मत उत्पन्न करो कि जो व्यक्ति तुम्हें प्रेम करता है तुम्हारी मृत्यु के बारे में सोचना आरंभ कर दे, वह जिसने चाहा होता कि तुम अमर हो जाओ, आशा बांधना आरंभ कर दे कि तुम मर जाओ, तो बेहतर यही है कि तुम मर जाओ। मुल्ला नसरुद्दीन फिल्मों के पीछे दीवाना था। प्रत्येक रात वह इस सिनेमा घर में होता या उसमें। एक दिन उसकी पत्नी बोली, मैं सोचती हूं यदि एक रात के लिए भी तुम घर में रुक गए, तो मैं मर जाऊंगी। मुल्ला ने पत्नी की और देखा और वह बोला, मुझे रिश्वत देने की कोशिश मत करो। ऐसी परिस्थिति मत निर्मित करो। क्लब के सबसे पुराने और अधिक सम्मानित सदस्य की पत्नी का अभी कुछ दिन पहले ही निधन हो गया था। उसके साथी सदस्य शोक-सभा में अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त कर रहे थे, और एक व्यक्ति ने कहा, अपनी पत्नी को खो देना कितना कठिन है।