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और तुमको एकांत उपलब्ध हो गया। फिर तो पतंजलि के योग सूत्र की कोई जरूरत न रही। बस एक ही सूत्र काम कर जाएगा रेलवे स्टेशन जाओ एक टिकट खरीद लो और हिमालय चले जाओ, बस हो गया। तुम्हें कौन रोक रहा है? तुम्हें रोका कैसे जा सकता है?
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लेकिन उस प्रकार से जीवन बहुत सस्ता हो जाएगा, किसी कीमत का न रहेगा। व्यक्ति को इसे सीखना पड़ता है। तुम्हारे सभी संबंधों का खिल जाना एकांत है। तुमने अपने सभी संबंधों की सुगंधों को, अच्छी या बुरी, सुंदर या कुरुप को एकत्रित कर लिया है, तुम सुगंध एकत्रित करते चले जाते हो। फिर तुम्हारे भीतर एक ज्वाला उठती है उस एकांत को लक्ष्य होना चाहिए। जिसको अभी तुम एकांत कह रहे हो वह एकांत नहीं है; यह तो बस अकेलापन होने जा रहा है। अकेले में होना, एकांत में होना नहीं है। अकेले होना, कुरूप, रुग्ण, उदास है। एकांत में होना अपने में परम सौंदर्य लिए हुए है; यह एक उपलब्धि है।
...... क्योंकि मैं उतना बोधपूर्ण नहीं हूं कि बिना गीले हुए पानी में उतर जाना या बिना जले हु आग में से गुजर जाना मेरे लिए संभव हो सके।"
फिर तुम किस प्रकार से बोधपूर्ण होने जा रहे हो? संबंधों में और और आगे बढ़ो भाग कर तुम कभी बोधपूर्ण नही पाओगे। तुमको बोधपूर्ण बनने के लिए इन सभी की आवश्यकता है। यदि तुम संसार में रहते हुए बोधपूर्ण न हो सके तो संसार से बाहर रह कर तुम बोधपूर्ण नहीं हो सकते। अन्यथा तुमको संसार दिया ही किसलिए गया है; तुम संसार में क्यों हो बोध सीखने के लिए।
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जब तुम्हारे रास्ते में बहुत सारे लोग इधर-उधर भाग-दौड़ कर रहे हों, अनेक ऊर्जाएं तुम्हारे चारों ओर आवागमन कर रही हों, और हल करने के लिए यह एक पहेली हो, तो इससे बोध का उदय होगा । ही, एक दिन तुम पानी में चलने में समर्थ हो जाओगे और पानी तुम्हारे पांवों को स्पर्श नहीं करेगा; लेकिन इससे पूर्व कि ऐसा घटित हो तुमको जीवन की अनेक नदियों और सागरो में चलना पड़ेगा । ही एक दिन तुम आग में चलने में समर्थ हो जाओगे और अग्नि तुमको नहीं जलाएगी लेकिन इसको अनेक अग्नियों और अनेक दहन अनुभवों से होकर सीखना पड़ेगा, केवल अनुभव से ही व्यक्ति मुक्त होता है सत्य मुक्त करता है; अनुभव तुमको सत्य देते हैं। बिना अनुभवों के जीवन के लिए कभी निर्णय मत करो। सदैव और अनुभवों के लिए निर्णय लो। भले ही कितना कठिन और दुष्कर हो, लेकिन सदा अनुभव का जीवन चुनो। एक दिन तुम पार चले जाओगे, लेकिन व्यक्ति इसे जान कर ही अतिक्रमण करता है।
तीसरा प्रश्न: