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प्रवचन 84 - किसी वास्तविक प्रचंड स्त्री को खोज लो
प्रश्न-सार:
1-मैं बूढ़ा होने से सदा भयभीत क्या रहता हैं?
2-मेरी तीन समस्याएं हैं : कामुक अनुभव करना, दसरे की खोज और मन में बना रहना कृपया मुझे मार्ग दिखाएं?
3-जीवन-साथी का होना या न होना किस प्रकार से व्यक्ति की अंतर-उम्मखता और आध्यात्मिक विकास को प्रभावित करता है?
4-अवरोध हैं मेरे भीतर उन्हें किस भांति हटाया जाए?
प्रश्न:
मैं बूढ़ा होने से सदा भयभीत क्यों रहता ह? मुझे इससे छुटकारा पाने का मार्ग दिखाएं?
जीवन, यदि ठीक से जीया गया है, वास्तव में जीया गया है, तो कभी मृत्यु से भयभीत नहीं होता।
अगर तुमने अपना जीवनजीया है, तुम मृत्यु का स्वागत करोगे। यह एक विश्राम, एक गहन निद्रा की भांति आएगी। यदि तुमने अपने जीवन के शिखर को, ऊंचाइयों को जीया है तो मृत्यु एक सुंदर विश्रांति, एक आशीष है। लेकिन अगर तुम जीए ही नहीं हो तो निःसंदेह मृत्यु भय उत्पन्न करती है। यदि तुम जी ही नहीं पाए हो तो निश्चित रूप से मृत्यु तुम्हारे हाथों से समय, जीवित रहने के सारे भविष्य के अवसरों को छीन लेगी। अतीत में तुम ठीक से जी नहीं पाए, और अब भविष्य भी नहीं रहेगा, भय उठ खड़ा होता है। भय, मृत्यु के कारण नहीं, बल्कि अनजीए जीवन के कारण उठता है।