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याद रखना अहंकार का दमन नहीं किया जा सकता। इसे तो बस समझ की उष्मा के माध्यम से, समझ की अग्नि के द्वारा वाष्पित किया जा सकता है। यदि तुम इसका दमन करो, तो यह आसान है। तुम विनम्र बन सकते हो, तुम सरल बन सकते हो लेकिन यह तुम्हारी सरलता के पीछे छिप
जाएगा।
एक महिला ने अपने चिकित्सक से कहा कि उसे निश्चित तौर से पता है कि उसे कोई भयानक बीमारी हो गई है। चिकित्सक ने उसे मूर्खतापूर्ण बात करने से रोकते हुए कहा उसे वह बीमारी है या नहीं यह जानना उसके लिए संभव नहीं हो सकता, क्योंकि इस बीमारी में वह बोला, कहीं कोई बेचैनी नहीं होती है। अत: उस महिला के पास इसे जानने का कोई उपाय नहीं है।
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लेकिन डाक्टर साहब, वह चिकित्सक से कहने लगी, बिलकुल यही तो मुझे अनुभव होता है - कहीं कोई बेचनी ही नहीं है। बीमारी है।
तुम अपने आपको धोखा देते रह सकते हो, और तुम उसके लिए तर्क खोज सकते हो और ऊपरी सतह पर वे बहुत तर्कपूर्ण दिखते हैं - ऊपर से वे करीब-करीब प्रमाण ही लगते हैं लेकिन उनके भीतर झांको तो।
और याद रखना कि यह किसी और का काम नहीं है। इसको देखना तुम्हारा ही काम है। भले ही सारा संसार इसे देख ले, लेकिन यदि तुमने इसको नहीं देखा तो यह व्यर्थ है।
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अब आधुनिक मनोविज्ञान धीरे-धीरे व्यक्तिगत चिकित्सा से सामूहिक चिकित्सा की ओर अग्रसर हो रही है, और उसका एकमात्र कारण यही है कि मनोचिकित्सक के लिए रोगी को एक-एक आदमी को, इस बारे में समझा पाना कि वह अपने साथ क्या कर रहा है, बेहद कठिन है। रोगी के बारे में उसकी मनोराथियों के बारे में, उसके तार्किक निष्कर्षो, दमनों के बारे में, उसके आत्मभ्रमों और मूठूताओं के बारे में, एक - एक आदमी को समझा पाना कठिन है। लेकिन एक समूह में यह आसान हो जाता है, क्योंकि सारा समूह इस मूर्खता को, इसके स्पष्ट रूप को देख सकता है कि वह किसी बात से आसक्त है और अनावश्यक रूप से परेशान हुआ जा रहा है। सारा समूह इसे देख सकता है, और सारे समूह की समझ, उस आदमी की समझ की तुलना में जो तुम्हारे ऊपर कार्य करती, अधिक गहरे, अधिक व्यापक ढंग से कार्य कर सकती है। यही कारण है कि सामूहिक मनोचिकित्सा बढ़ती जा रही है और व्यक्तिगत मनोचिकित्सा मिटती जा रही है।
सामूहिक मनोचिकित्सा से व्यापक स्तर पर लाभ होता है। बीस लोग एक समूह में कार्य कर रहे हैं तो उन्नीस लोग इस बात के प्रति सचेत हो जाते है कि तुम कुछ ऐसा कर रहे हो जो तुम करना तो नहीं चाहते थे लेकिन जिससे तुम अभी भी चिपके हुए हो ।