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मिनट ही बीते हों। जब तुम प्रसन्न होते हो समय बहुत, बहुत ही तेज चलता है। जब तुम अप्रसन्न होते हो, किसी का निधन हो गया है, कोई ऐसा जिसको तुमने चाहा था उसकी मृत्यु घटित हो गई हैतब समय, बहुत, बहुत, बहुत ही धीरे-धीरे गुजरता है।
अभी उस रात्रि को ही मीरा आई। कुछ माह पूर्व उसके पति की मृत्यु हो गई। वह उसकी मृत्यु के बाद मुझसे मिलने आई थी, और मैंने उससे कहा था, चिंता मत करो, घाव ठीक हो जाएगा। इसमें थोड़ा वक्त लगेगा, करीब-करीब तीन माह लगेगे। लेकिन वे तीन महीने एक औसत समय है क्योंकि यह उस व्यक्ति पर निर्भर करता है। अब वह पिछली रात दुबारा आई और उसने कहा अब पांच महीने बीत चुके हैं और पीड़ा अभी भी है । निःसंदेह कम है, किंतु यह अभी भी है, यह गई नहीं है, और आपने कहा था कि तीन महीनों में पीड़ा विदा हो जाएगी।' मैं जानता हूं। कभी कभी इसमें एक वर्ष लगता है, कभी यह छह माह लेती है, कभी इसके विदा होने में तीन माह भी नहीं लगते, तीन दिन ही पर्याप्त होते हैं। यह क्रमागत नहीं है, यह मनोवैज्ञानिक है। यह तुम्हारे ऊपर निर्भर है, संबंधों पर निर्भर है कि तुम और तुम्हारे पति के मध्य किस प्रकार का संबंध रहा था।
और मैं जानता हूं कि संबंध अच्छा नहीं था। इसीलिए घाव अच्छा तो होगा लेकिन इसमें लंबा समय लगेगा। यह विरोधाभासी प्रतीत होता है, किंतु ऐसा ही होता है। यदि तुमने किसी व्यक्ति को प्रेम किया था और उसकी मृत्यु हो जाती है, तुम्हैं उदासी अनुभव होगी, लेकिन तुम शीघ्र ही सामान्य हो जाओगे। कोई घाव नहीं होगा। तुमने उस व्यक्ति को प्रेम किया था, उसमें जरा भी अपूर्णता नहीं थी। लेकिन मीरा और उसके पति के बीच संबंध अच्छे नहीं थे, वर्षों से वे करीब-करीब अलग ही थे। वह प्रेम करना चाहती थी पर प्रेम कर नहीं पाई। वह उसके साथ रहना चाहती थी पर ऐसा हो न सका । अब पति विदा हो चुका है, और उसके साथ रह पाने की मीरा की सारी आशाएं भी उसी के साथ मिट गई हैं। उसके अरमान थे, उसकी इच्छा थी, वह चाहती थी, किंतु यह नहीं हो सका। अब वह व्यक्ति विदा हो गया, अब कोई संभावना नहीं है। अब उस पर अकेलेपन का ठप्पा लग गया है, अब उस व्यक्ति को प्रेम करने का कोई उपाय नहीं है। उसके जीवित रहते, वह प्रेम न कर पाई, उनके मध्य समस्याएं थीं अब वह व्यक्ति विदा हो गया, इसलिए कोई संभावना न बची। अब यह घाव बहुत धीरे-धीरे, बहुत धीरे-धीरे भरेगा और जब यह भर जाएगा तो भी सदा उसके चारों ओर एक खास किस्म की उदासी छाई रहेगी।
किसी भी अपूर्ण चीज को गिरा देना कठिन है। चीजें पूरी पक जाती हैं और तब अपने से ही गिर जाती हैं। जब कोई पक जाता है, यह गिर पड़ता है। निःसंदेह वृक्ष को कुछ क्षण महसूस होता है कि कुछ खो गया है, फिर यह भूल जाता है समाप्त हो गई बात, क्योंकि पके हुए फलों को गिर जाना पड़ता है। प्रत्येक व्यक्ति को मरना पडेगा। जब वह व्यक्ति जीवित था - तुमने प्रेम किया, और तुमने आत्यंतिक रूप से और समग्रता से प्रेम किया, तुम तो करीब-करीब परितृप्त हो तुम और अधिक की मांग नहीं कर सकतीं। जैसा कि यह था यह पहले से ही बहुत अधिक था। तुम आभारी हो कि