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नहीं, जो किसी और की पत्नी है। हूं. ...प्रेम करीब-करीब अंधा होता है। यह तुम पर हावी हो जाता
है।
हां, बर्टेड रसल ठीक प्रतीत होता है, उसके तर्क उचित ही प्रतीत होते हैं, किंत मैं कहता हं कि तर्क उचित नहीं है। वह असली बात से चूक गया है। और किसी ईसाई धर्मशास्त्री ने अभी तक उसको इस बिंदु पर उत्तर नहीं दिया है। वे उत्तर नहीं दे सकते क्योंकि वे भी भूल चुके हैं। वे सिद्धांतों की बातें करते रहते हैं, लेकिन वे वास्तविकताओं को विस्मृत कर चुके हैं। जब जीसस कहते हैं कि नरक शाश्वत है तो उनका अभिप्राय मनोवैज्ञानिक समय से है, न कि क्रमागत समय से। ही, यदि उनका अभिप्राय क्रमागत समय होता तो किसी व्यक्ति को शाश्वत नरक में डाल देना नितांत असंगत है। उनका अभिप्राय है मनोवैज्ञानिक समय। उनका अभिप्राय यह है कि नरक में एक क्षण भी अनंत काल जैसा प्रतीत होगा। यह बहुत अधिक धीमा हो जाएगा क्योंकि तुम इस प्रकार से संताप और दर्द में होंगे कि एक क्षण भी अनंतकाल जैसा प्रतीत होगा। तुम्हें अनुभव होगा कि यह किसी भी समय समाप्त नही होगा, यह मिटने वाला नहीं है। तुम्हें लगेगा कि इसका सातत्य जारी है, चल रहा है, चलता जा रहा है।
यह समय के बारे में कुछ नहीं कहता, यह तुम्हारी उस अनुभूति के बारे में कुछ बताता है जब तुम गहरी पीड़ा और कष्ट में होते हो। और निःसंदेह नरक दर्द की चरम अवस्था है। और जीसस बिलकुल सही हैं, बर्टेड रसल गलत है, लेकिन बर्टेड रसल इसे गलत समझा क्योंकि जीसस ने ठीक मनोवैज्ञानिक समय नहीं कहा था। वे कहते हैं, अनंतकाल, क्योंकि उन दिनों यही भाषा समझी जाती थी। ऐसी विशिष्टता से बोलने की कोई आवश्यकता न थी।
मनोवैज्ञानिक समय व्यक्तिगत होता है। तुम्हारे पास अपना है, तुम्हारी पत्नी के पास उसका है, तुम्हारे पुत्र के पास उसका है, और सभी भिन्न हैं। संसार में संघर्षों का यह भी एक कारण है। तुम हार्न बजा रहे हो और पत्नी खिड़की से कहती है, मैं आ रही हूं और वह दर्पण के सम्मुख खड़ी रहती है और तुम हार्न पर हार्न बजाए जा रहे हो कि समय हआ जा रहा है और हमारी ट्रेन छट जाएंगी, और वह क्रोधित हो उठती है, और तुम क्रोध में आ जाते हो। हो क्या रहा है? प्रत्येक पति चिढ़ा हुआ है कि वह तो ड्राइवर की सीट पर बैठा हआ है और हार्न बजाए जा रहा है और पत्नी अभी तक तैयार हो रही है, तैयार ही हो रही है। अभी भी वह साड़ी का चुनाव कर रही है। अब रेलगाड़ियां इस बात की चिंता नहीं लेती कि तुमने कौन सी साड़ी पहनी हुई है, वे समय पर चली जाती हैं। पति बहुत अधिक हैरान है, क्या चल रहा है। दो विभिन्न मनोवैज्ञानिक समय विवाद में हैं।
पुरुष क्रमागत समय पर पहुंच गया है; स्त्री अभी भी मनोवैज्ञानिक समय में जीती है। जहां तक मैं देखता हूं स्त्रियां कलाई घड़ी का उपयोग करती हैं, लेकिन आभूषण की भांति। मैं नहीं देखता कि वे वास्तव में उनका उपयोग करती हों, विशेषत: भारत में तो नहीं। मैं ऐसी कई महिलाओं के संपर्क में