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तब समस्या कहां है? काम समस्या क्यों है? इससे अधिक प्यारा और कुछ भी नहीं है। तुम पुष्पों की प्रशंसा किए चले जाते हो लेकिन तुमने कभी सोचा नहीं कि वे वृक्ष के कामुक प्रयास हैं। उनमें काम- बीजाणु, काम–कोष्ठ हैं। वह वृक्ष का तितलियों और मक्खियों को धोखा देने का ताकि वे उसके पराग कणों को मादा पुष्प तक ले जाएं-उपाय है। उनकी प्रशंसा करते हो तुम, बिना यह जाने कि तुम काम-ऊर्जा की प्रशंसा कर रहे हो। कितने सुंदर हैं सारे फूल, लेकिन ये सभी काम-ऊर्जा की अभिव्यक्तियां हैं। तुम पक्षियों के गीतों की प्रशंसा करते हो, किंतु क्या तुम जानते हो? वे और कुछ नहीं बस रिझाने की तरकीबें हैं। नर पक्षी मादा पक्षी को पुकारता चला जाता है, हर उपाय से, ध्वनि से, गीत से उसे मोहित करने का प्रयास करता है। तुमने किसी मोर को नाचते हुए अवश्य देखा होगा। इसके जैसा और कुछ भी नहीं है लेकिन यह विपरीत लिंगी को रिझाने की जादुई तरकीब के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है। यदि तुम चारों ओर देखो तो तुम हैरान हो जाओगे। जो कुछ भी सुंदर है, कामुक है।
तुम्हारे सभी साधु-महात्मा पुष्पों की प्रशंसा किए चले जाते हैं। वे तो बस मनुष्य के काम की खिलावट के विरोध में हैं। उन्होंने ठीक से नहीं देखा होगा कि वे क्या कर रहे हैं। तुम पुष्पों को, बहुत सारे पुष्पों को लेकर मंदिर जाते हो और अपने देवता के चरणों में तुम अपने पुष्पों को अर्पित कर देते हो, बिना जाने कि तुम क्या कर रहे हो। यह एक कामुक उपहार है।
वह सभी कुछ, जो सुंदर है-पुष्प, गायन, नृत्य-कामुक है। जहां कहीं भी तुमको सौंदर्य का कोई अनुभव हुआ हो, यह कामुक है। सारा सौंदर्य कामुक है। इसे ऐसा होना ही पड़ता है। लेकिन बस मनुष्यों में वैत निर्मित कर दिया गया है। द्वैत को गिरा दो। मैं तुम्हारी समस्या हल करने नहीं जा रहा हूं। मैं तो बस इतना कह रहा हूं कि तुम्हारी समस्या मूर्खतापूर्ण, बेवकूफी है। और यह मत सोचो कि तुम मेरे पास एक बड़ी आध्यात्मिक समस्या लेकर आ रहे हो। तुम तो बस एक मुर्खतापूर्ण चीज ला रहे हो जिसका आध्यात्मिकता से जरा भी लेना-देना नहीं है। उसे गिरा दो।
मैं यह नहीं कह रहा हूं कि अपने काम से संतुष्ट बने रहो। मैं कह रहा हूं कि इसको स्वीकार करो। इसमें श्रेष्ठतर संभावनाएं छिपी हुई हैं। लेकिन स्वीकृति से ही पहला द्वार खुलता है; तब दूसरा द्वार उपलब्ध हो जाता है। यह काम-ऊर्जा है जो ऊर्जा के अन्य चक्रों में गति.?ईल होती है, ऊंची और ऊंची और ऊंची चली जाती है।
यदि तुम कहीं अटक गए हो, काम समस्या बन जाता है, लेकिन फिर भी काम समस्या नहीं है बल्कि अटके रहना समस्या है। यह बात तुम पर स्पष्ट हो जानी चाहिए। काम कभी समस्या नहीं है, बल्कि तुम्हारा कहीं अटक जाना समस्या है। यह बिलकुल दूसरी बात है। इसलिए कहीं अटको मत, जम मत जाओ। तरल बने रहो और गतिशील रहो।