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प्रान्दोग्य उपनिषद में एक सुंदर कथा है। आओ हम इसी से आरंभ करें।
सत्यकाम ने अपनी मां जाबाला से पूछा. मां, मैं परम ज्ञान के विद्यार्थी के रूप में जीवन जीना चाहता है। मेरा पारिवारिक नाम क्या है?मेरे पिता कौन हैं?
मेरे बच्चे, मां ने उत्तर दिया, मुझे ज्ञात नहीं; अपनी युवावस्था में जब मैं सेविका का कार्य करती थी तो मैंने अनेक पुरुषों का संसर्ग करते हुए अपने गर्भ में तुम्हें धारण किया था, मैं नहीं जानती कि तुम्हारा पिता कौन है-: मैं जाबाला हूं और तुम सत्यकाम हो, इसलिए तुम स्वयं को सत्यकाम जाबाल कहो।
तब वह बालक उस समय के महान ऋषि गौतम के पास गया और उनसे स्वयं को शिष्य की भांति स्वीकार किए जाने के लिए कहा। वत्स, तुम किस परिवार से हो? ऋषि ने पूछा।
सत्यकाम ने उत्तर दिया. मैंने अपनी मां से पूछा था कि मेरा गोत्र, पारिवारिक नाम क्या है? और उन्होंने उत्तर दिया : मुझे शात नहीं;अपनी युवावस्था में जब मैं सेविका का कार्य करती थी तो मैंने अनेक पुरुषों का संसर्ग करते हुए अपने गर्भ में तुम्हें धारण किया था, मैं नहीं जानती कि तुम्हारा पिता कौन है- मैं जाबाला हूं और तुम सत्यकाम हो, इसलिए तुम स्वयं को सत्यकाम जाबाल कहो, श्रीमन् अत: मैं सत्यकाम जाबाल हूं।
ऋषि ने उससे कहा : एक सच्चे बाह्मण, सत्य के सच्चे खोजी के सिवा यह कोई नहीं कह सकता। वत्स, तुम सत्य से विचलित नहीं हुए हो। मैं तुम्हें उस परम ज्ञान की शिक्षा दूंगा।
साधक का पहला गुण प्रमाणिक होना, सत्य से विचलित न होना, किसी प्रकार से भी धोखा न देना है,। क्योंकि यदि तुम दूसरों को धोखा देते हो, तो अंततोगत्वा अपनी धोखेबाजियो से तुम ही धो खाते हो। यदि तुम एक ही झूठ को अनेक बार बोलो तो यह तुमकी करीब-करीब सच जैसा ही प्रतीत होने लगता है। जब दूसरे तुम्हारे झूठों में विश्वास करने लगते हैं, तो तुम भी उनमें विश्वास करना आरंभ कर देते हो। विश्वास छत की बीमारी है।
इसी प्रकार से हम उस उपद्रव में आ गए हैं, जिसमें हम अभी हैं।
पहला असत्य जिसको हमने सत्य की भांति स्वीकार कर लिया है वह है, मैं शरीर हूं। हर व्यक्ति इसमें विश्वास रखता है। तुम ऐसे समाज में जन्में हो, जिसको विश्वास है कि हम शरीर हैं। प्रत्येक शरीर की भांति प्रतिक्रिया करता है, कोई भी आत्मा की भांति प्रत्युत्तर नहीं देता।
और प्रतिक्रिया तथा प्रत्युत्तर के बीच का भेद याद रखो। प्रतिक्रिया यांत्रिक है, प्रत्युत्तर सजग, बोधपूर्ण, चेतन है। जब तुम एक बटन दबाते हो और पंखा घूमना आरंभ कर देता है तो यह प्रतिक्रिया है। जब तुम बटन दबाते हो, तो पंखा सोचना शुरू नहीं करता कि क्या मैं घूमं या न घूमू। जब तुम प्रकाश