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कर देता हूं। क्योंकि जितना तुम्हें पहेली पर कार्य करना पड़ेगा तुम उतना ही अधिक बोधपूर्ण हो जाओगे। तुम्हें अच्छा लगेगा कि मैं तुमको एक निश्चित प्रश्नोत्तरी दे दूं जैसा कि ईसाई लोग अपने अनुयायियों को देते हैं। कुछ लोग मेरे पास आ जाते हैं, मूर्ख लोग हैं वे, वे कहते हैं, आपकी पुस्तकों से जान पाना कि आप क्या चाहते हैं बहुत कठिन है, ओशो। माओत्से तुंग की 'लाल किताब' की भांति एक छोटी हाथ में आ सकने वाली जिसे जेब में रखा जा सके, ऐसी एक छोटी पुस्तक बना दीजिए, और यह पुस्तक बिलकुल ठीक-ठीक संक्षिप्त में यह बता दें कि आप क्या चाहते हैं।
मैं तुमको कोई 'लाल किताब' नहीं देने जा रहा हूं क्योंकि फिर बात ही क्या बची। तुमने इसे पसंद कर लिया, मामला खत्म, किसी जागरूकता की जरूरत ही नहीं है। तुमने बस लाल किताब में देखा और सब कुछ स्पष्ट हो गया। सभी लाल किताबें जला देने के योग्य हैं। कोई भी चीज जो तुम्हारे जीवन की पहेली को सुलझा देती है, तुम्हारी शत्रु है, क्योंकि पहेली सुलझते ही तुम अचेतनता में छलांग लगा दोगे। पहेली को और जटिल बनाया जाना है। इसीलिए यदि लाओत्सु से काम न चल सके तो मैं पतंजलि को ले आता हूं। यदि पतंजलि से न हो पाए तो मैं बुद्ध को ले आता हूं। यदि वे असफल हों तो जीसस, महावीर। और फिर मैं लोगों को खोज लाता हं : तिलोपा, नरोपा। किसी ने उनके बारे में अधिक चिंता नहीं की। और मैं तुमको उलझाता चला जाऊंगा।
यदि इस दिग्भ्रम में तुम स्पष्ट हो गए, तुम्हारे चारों ओर की चीजें नहीं.. .स्पष्टता आंतरिक होना चाहिए। स्पष्टताएं दो प्रकार की होती हैं। एक है तुम्हारे चारों ओर की चीजों की व्यवस्था मेंआंतरिक सज्जाकार दवारा फर्नीचर व्यवस्थित कर दिया गया हर चीज अपने स्थान पर है लेकिन फिर भी तुम स्पष्ट नहीं हो। चीजें व्यवस्थित हैं और उन्होंने तुमसे इनको स्पष्ट करने का अवसर ले लिया है। फिर एक दूसरी स्पष्टता है-चीजें जैसी वे हैं वैसी ही रहती हैं, लेकिन तुम बोध की प्रगाढ़ता उपलब्ध कर लेते हो। और- और सजग हो जाते हो तुम। तुम चीजों को गहराई से देखते हो, तुम और-और स्पष्टता से देखना आरंभ कर देते हो। चीजें वही हैं लेकिन तुम भिन्न हो। परिवर्तन तुम पर घटा है, संसार में नहीं।
और एक धार्मिक व्यक्ति तथा साम्यवादी, समाजवादी, राजनैतिक व्यक्ति के मध्य यही भेद है। वे सभी संसार को छांट रहे हैं-मार्क्स, माओ, स्टैलिन। वे सभी संसार को, पहेली को जमाने का प्रयास कर रहे हैं, इसलिए तुम्हें चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। वे तुम्हारे लिए भोजन चबा रहे हैं, और वे तुम्हें छोटे बच्चे बनाने का प्रयास कर रहे हैं ताकि तुम राज्य के आश्रय पर जीवित रह सको-और सरकार द्वारा हर चीज स्पष्ट कर दी गई है, हर चीज का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया है, और हर चीज को उसके उचित स्थान पर रख दिया गया है, जिससे कि तुम अपने सिर पर बिना कोई चिंता लिए बस घूमो-फिरो।
मैं बाहर के संसार में इस प्रकार के व्यवस्थाकरण के पक्ष में नहीं हूं बाह्य संसार को एक सुंदर अव्यवस्था बना रहना चाहिए जिससे कि तुम्हें अंतस की जागरूकता के लिए संघर्ष करना पड़े। मुझे