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तिरोहित हो जाता है, ' यह है समय की प्रक्रिया । तुम्हारे पास एक समय में केवल एक क्षण होता है, दो क्षण कभी एक साथ नहीं होते। अतीत, भविष्य और बस उनके ठीक बीच में अंतराल में वर्तमान ।
अब नागार्जुन और जेनो प्रश्न उठाते हैं, वह क्षण कहां से आता है? क्या भविष्य पहले से ही अस्तित्व में है? यदि अस्तित्व में नहीं है तो वह क्षण अन अस्तित्व से किस भांति आ सकता है? अब वे उलझन खड़ी कर देते हैं। वे कहते हैं, वर्तमान का क्षण अतीत में कहां चला जाता है? क्या यह अभी भी अतीत में संचित है? यदि तुम कहो ही, यह अभी भी अतीत में उपस्थित है, तो यह अभी नहीं हुआ है। यदि तुम कहो कि यह भविष्य में था, और बस अभी यह हमारे समक्ष उदघाटित हुआ है, यह भविष्य में सदा से था, तब नागार्जुन और जेनो कहते हैं तब तुम इसे भविष्य नहीं कह सकते, यह सदा से वर्तमान था। यदि भविष्य है, तो यह भविष्य नहीं है क्योंकि भविष्य का अर्थ है जो अभी नही है। यदि अतीत है, तो यह अतीत नहीं है, क्योंकि अतीत का अर्थ है जो अस्तित्व से बाहर हो गया है।
इसलिए जो भी विकल्प तुम चुनते हो.. यदि तुम कहो कि भविष्य नहीं है और अचानक शून्य में से वर्तमान का क्षण प्रकट हो जाता है, वे दोनों हंसते हैं। वे कहते हैं, 'तुम मूर्खतापूर्ण बात कह रहे हो। अन अस्तित्व से अस्तित्व किस प्रकार आ सकता है? और किस भांति अस्तित्ववान पुनः अनअस्तित्व में चला जाता है? वे कहते हैं, 'यदि दोनों ओर अनअस्तित्व है तो ठीक बीच में अस्तित्व कैसे हो सकता है? इसे भी अनअस्तित्व होना चाहिए। तुम भ्रम में थे।'
फिर वे कहते हैं, तुम समय को एक प्रक्रिया ऊहने हो? तुम्हारा कथन है कि एक क्षण दूसरे से जुड़ा हुआ है? नागार्जुन और जेनो तुमसे पूछते हैं, दो क्षण हैं, वे किस प्रकार से संबंधित हैं? क्या ज्यू दोनों के मध्य कोई तीसरा क्षण भी है जो उनको जोड़ता है। फिर वे एक कठिनाई पैदा कर देते हैं, क्योंकि संबंध बनाने के लिए एक सेतु की जरूरत होती है। दो चीजों को जोड़ने के लिए, अतीत को वर्तमान से जोड्ने के लिए, और वर्तमान को भविष्य से जोड़ने के लिए सेतुओं की आवश्यकता पड़ती है। तो इन सेतुओं का अस्तित्व कहां है? वे सेतु क्या हैं? वे समय से ही निर्मित हो सकते हैं। इसलिए एक क्षण और दूसरे क्षण के मध्य में उन दोनों को जोड़ने के लिए एक क्षण और है। इसलिए दो के स्थान पर वहां तीन हैं, लेकिन फिर उनको भी जोड़ना पड़ेगा। एक अनंत श्रृंखला बन जाती है।
दो अंगुलियों की ओर देखो। इन दो को जोड़े जाने की आवश्यकता है, वे तीन अंगुलियां बन जात हैं। अब एक के स्थान पर दो स्थान, दो अंतराल हो गए। उन्हें जोड़ा जाना है; वे पांच हो गए हैं। अब जोड़े जाने के लिए और अधिक रिक्त स्थान हो जाते हैं और इसी प्रकार यह चलता रहता है।
नागार्जुन और जेनों के अनुसार क्रमागत समय एक उपयोगिता है। यह सारभूत नहीं है। वास्तवि समय कोई प्रक्रिया नहीं है, क्योंकि नागार्जुन का कहना है यदि समय स्वयं में प्रक्रिया हो तो इसे एक और समय की जरूरत होगी। उदाहरण के लिए तुम चलते हो। तुम्हें समय की आवश्यकता होती है। तुमको अपने घर से, इस च्चांगत्सु सभागार में, मेरे पास आना है। तुमको यहा तक आने में पंद्रह