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सड़कों पर भटकने वाला, मोटर साइकिल जिसकी लत बन चुकी हो, अपनी नींद में भी तेज रफ्तार बनाए रहता है। जो कुछ भी तुम अपने सपनों में करते हो वह तुम्हारी इच्छा, तुम्हारे लक्ष्य, तुम क्या पाना चाहते हो, को प्रतिबिंबित करता है।
आदिम समाज मनोवैज्ञानिक समय में जीया करते हैं। पूरब मनोवैज्ञानिक समय में जीता रहा है, पश्चिम क्रमागत समय में जीया करता है। यदि तुम पर्वतों के पीछे और जंगलों में काफी भीतर रहने वाले छिपे हुए समाजों में जाकर देखो, तो तुम पाओगे कि वे पूरी तरह मनोवैज्ञानिक समय में जीते हैं। कुछ ऐसे भी आदिम समाज हैं जहां स्वप्न वास्तविकता से अधिक महत्वपूर्ण हैं, और सुबह नाश्ते से पहले बच्चों को पहला काम यही करना पड़ता है कि वे अपने बड़ों को अपने स्वप्न सुनाया करते हैं। पहली बात है, मनोविश्लेषण। नाश्ते से पहले ही बड़ों के सामने स्वप्न का वर्णन कर दिया जाना है। और वे एक साथ एकत्रित होते हैं और वे स्वप्न का 'विश्लेषण करते हैं। और फिर वे बच्चे को कुछ करने के लिए कहते हैं, क्योंकि स्वर्ण प्रतीकात्मक है और यह प्रदर्शित करता है कि कुछ किए जाने की जरूरत है।
उदाहरण के लिए एक बच्चे ने स्वप्न में देखा कि वह एक मित्र से लड़ रहा है, और सुबह वह इस बात को अपने बड़ों को बताता है। वे इसकी व्याख्या करेंगे, और वे इस बच्चे को उपहारों और मिठाइयों और खिलौनों के साथ उसके घर, उसी बच्चे के पास भेजेंगे जिससे वह स्वप्न में लड़ रहा था और उसे वे उपहार दिए जाएं और उसको वह स्वप्न बताया जाए, क्योंकि उसने एक अपराध किया है।
पश्चिम में तुम इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। तुमने किया क्या है? तुमने कुछ नहीं किया, तुमने केवल स्वप्न देखा, लेकिन उस विशेष आदिवासी समुदाय का कहना है कि तुमने स्वप्न देखा क्योंकि तुम इस प्रकार की कोई बात करना चाहते थे, वरना क्यों ऐसा स्वप्न आया? एक छिपी हुई दमित इच्छा रही होगी यह। जहां तक मन का संबंध है, तमने ऐसा कर लिया है। जाओ और उस बच्चे को बता दो ताकि तुम्हारे चारों ओर कोई सूक्ष्म क्रोध न बना रहे। उससे पूरी बात कह दो और उससे क्षमा मांग लो और इन उपहारों को उसे भेंट में दे दो।
स्वप्न की लड़ाई के लिए असली उपहार....किंतु उस समुदाय में एक चमत्कार घट गया है। धीरेधीरे जब बालक बड़ा होता है वह स्वप्न देखना छोड़ देता है। स्वप्न खो जाते हैं। उस आदिम समाज के अनुसार वयस्क व्यक्ति वही है जिसे स्वप्न नहीं आते। सुंदर मालूम पड़ती है यह बात। निःसंदेह मनोविश्लेषक उस समाज की प्रशंसा नहीं करेंगे, क्योंकि उनका सारा धंधा चौपट हो जाएगा।
एक युवती अपने चिकित्सक से मिलने गई और चिकित्सक ने उससे पूछा कि पिछली रात तुमने स्वप्न में क्या देखा? उस युवती ने बताया कि उसे कल पूरी रात कोई स्वप्न ही नहीं आया। इस पर वह मनोचिकित्सक बहुत क्रोधित हुआ और बोला. देखो, यदि तुम अपना गृहकार्य नहीं करोगी तो मैं तुम्हारी मदद कैसे कर पाऊंगा?