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स्वयं करेगा, लेकिन को एक सामान्य व्यक्ति के रूप में प्रकट कर देते हो। भय होगा, अहंकार आहत अनुभव करेगा, लेकिन इसे आहत अनुभव करने दो। वस्तुत: इसे भूखा रहने और मर जाने दो। इसको मर जाने में सहायता दो सामान्य हो जाओ, सरल हो जाओ और तुम अधिक समग्र हो जाओगे और तनाव विलीन हो जाएंगे और लगातार अभिनय करने की कोई जरूरत न रहेगी। लगातार अभिनय करते रहना, प्रदर्शन के झरोखे.. सतत खड़े रहना, बस देखते रहना कि लोग क्या सोच रहे हैं, और तुम्हें यह सिद्ध करने के लिए कि तुम विशिष्ट हो, क्या करना पड़ेगा-यह कितना बड़ा तनाव है। लेकिन जरा दूसरों के बारे में भी सोच लो, वे भी यही काम कर रहे हैं।
सारा संसार बहुत अधिक चिंता में है, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति कुछ ऐसा सिद्ध करने की कोशिश कर रहा है जो वह नहीं है, और दूसरे भी वही कर रहे हैं। और कोई यह देखना नहीं चाहता कि तुम महान हो। वे जानते हैं कि तुम महान नहीं हो, क्योंकि वे तुम्हारी महानता में कैसे विश्वास कर सकते हैं? वे स्वयं ही महान हैं। तुम भी जानते हो कि तुम्हारे अतिरिक्त कोई और महान नहीं है। भले ही तुम ऐसा न कहो, लेकिन गहरे में हर व्यक्ति यही विश्वास करता रहता है।
मैंने सुना है कि अरब देशों में एक मजाक प्रचलित है कि जब भी परमात्मा किसी नये मनुष्य की रचना करता है उसके साथ वह एक चाल खेलता है। वह उसके कान में फुसफुसाता है, मैंने अब तक जितने व्यक्ति बनाए हैं तुम उनमें सर्वश्रेष्ठ हों-महानतम। किंतु वह ऐसा प्रत्येक व्यक्ति के साथ करता रहा है, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति अपनी स्वयं की महानता को लेकर आश्वस्त है।
पृथ्वी पर चलने का प्रयास करो। यथार्थ वादी बनो। और यदि तुम सामान्य हो, तो तुम अचानक अनेक द्वारों को खुलता हुआ देखोगे, जो तुम्हारी तनावग्रस्त अवस्था के कारण बंद थे। विश्रांत हो जाओ। और निःसंदेह अभिमान बार बार अनेक रूपों 'मैं आ जाता है, अत: निरीक्षण करो। और सदा याद रखो कि यह सूक्ष्म ढंगों से आएगा, इसलिए अपने निरीक्षण को और शुद्ध, सही, सजग बनाओ।
ही, ध्यान से काम चल जाएगा। और किसी बात की आवश्यकता नहीं है। बस जरा सा ध्यान और करो, जिससे कि तुम चीजों को स्पष्टता से देख सको।
प्रश्न :
ओशो, धीरे-धीरे मुझे अनुभव हो रहा है कि आप मैं है। किंतु फिर यह व्यक्ति जो श्वेत वस्त्रों में प्रत्येक सुबह उस पर बैठता है कौन है?
जी. ओ के, अब मुझे इस गुप्त संकेत जी. ओके का अर्थ समझाने दो। यही मेरा उत्तर है।