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जाते हो तो इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है। यही तो तुम कर रहे हो-धूल एकत्रित कर रहे हो और सोचते हो जैसे कि यह सोना है।
यदि अहंकार की आख से देखा जाए दो कौड़ी की चीज भी बहुत मूल्यवान मालूम होती है। अहंकार सबसे बड़ा धोखेबाज, सबसे बड़ा छलिया है। यह तुमसे झूठ बोलता चला जाता है, और यह भ्रम, स्वप्न, प्रक्षेपण निर्मित करता रहता है। इसका निरीक्षण करो। यह बहुत सूक्ष्म है। इसके ढंग बहुत सूक्ष्म हैं,
और यह बेहद चालाक है। यदि एक दिशा में तुम इसे रोकते हो तब यह दूसरी दिशा में चला जाता है। यदि तुम एक रास्ता रोको, तो यह दूसरा रास्ता खोज लेता है, और यह कार्य इतनी चालाकी भरे ढंग से करता है कि तुम सोच १नी नहीं सकते कि यह दूसरा रास्ता भी अहंकार का ही है।
मैंने एक की औरत के बारे में है, जिसने सीढियों से नीचे गिर कर अपनी टांग तोड़ ली थी. चिकित्सक ने उसकी टांग पर प्लास्टर चढ़ा दिया और उसे चेतावनी दी कि वह सीढियों से चढ़ना उतरना बंद कर दे। हड्डी जुड़ने में छह महीने लगे और तब चिकित्सक ने घोषणा की कि अब प्लास्टर हटाया जा सकता है।
क्या अब मैं सीढ़ियों पर चढ़ सकती हं? की स्त्री ने पूछा।
जी हां, चिकित्सक ने कहा।
अरे वाह, मुझे खुशी हुई, वह खिलाखिला कर बोली, मैं ड्रेन पाइप से चढ़ उतर कर परेशान हो चुकी हूं।
अगर तुम अहंकार का जीने से आना रोक दो तो यह ड्रेन पाइप से आ जाता है, लेकिन यह आता है।
अपने तथाकथित धार्मिक लोगों को देखो। उन्होंने सब कुछ त्याग दिया है लेकिन उन्होंने त्याग को नहीं छोड़ा। उन्होंने सब कुछ त्याग दिया है; अब वे अपने त्याग से चिपक रहे हैं। उनका त्याग ही उनकी संपदा, उनका ड्रेन पाइप बन गया है। अब भी वे उसी अहंकार पर आरूढ़ हो रहे हैं, लेकिन एक ज्यादा चालाक और सूक्ष्म ढंग से, इतना सूक्ष्म कि न सिर्फ दूसरे धोखा खा रहे हैं बल्कि वे स्वयं भी धोखे में हैं।
देखो, तुम एक सांसारिक व्यक्ति हो; फिर एकदिन तुम्हें निराशा अनुभव होती है। हर किसी को एक दिन ऐसा ही लगता है, इसमें कोई विशेष बात है भी नहीं। फिर तुम धार्मिक होने लगते हो और तुम इसके बारे में बहुत अहंकारी महसूस करने लगते हों-तुम धार्मिक हो रहे हो। तुम दूसरों को पापियों, सांसारिक व्यक्तियों की तरह देखते हो। तुम धार्मिक हो, तुम तो संन्यासी हो गए हो, तुमने त्याग कर दिया है। जरा देखो तो, शत्रु दूसरे दरवाजे से भीतर आ चुका है। संसार का त्याग नहीं किया जाना है; अहंकार का त्याग किया जाना है। इसलिए व्यक्ति को ऐसा न होने देने के लिए बहुत ही ज्यादा सावधान रहना पड़ता है।