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इस क्षण में यदि तुम अपना प्रेम पूर्ण कर लो, यदि तुमने अपने समग्र हृदय से प्रेम किया हैनरी तरह समर्पित होकर, इसमें डूब कर, यदि तुमने कुछ भी पीछे बचा कर नहीं रखा है- तब कल का विचार कभी नहीं उठता है, कल का विचार उठना असंभव हो जाता है। यह सदैव तभी आता है जब कि कुछ अतृप्त रह गया हो, तभी तुम भविष्य की अभिलाषा रखते हो। यदि तुमने अपनी स्त्री को आज प्रेम कर लिया है और मृत्यु आ जाती है तो तुम इसे स्वीकार कर लोगे । या अगर स्त्री किसी और के प्रेम में पड़ जाती है, तो तुम अलविदा कहोगे - उदास लेकिन दुखी नहीं। और उदासी में एक सौंदर्य है, और दुख कुरूप है। उदास, आसक्ति के कारण नहीं, उदास इसलिए कि तुम्हारा प्रेम अब भी तुम्हारे भीतर उमड़ रहा है लेकिन जो व्यक्ति इसको समझ सकता, दूर जा रहा है। उदास किंतु परितृप्त। वहां कोई शिकायत नहीं है, कोई ईर्ष्या नहीं।
किंतु यदि तुमने पूरी तरह प्रेम किया हो तो ऐसा कभी नहीं होता, कि स्त्री जा सके, या पुरुष जा सके। यदि तुमने समग्रता से प्रेम किया है तो यह असंभव है, क्योंकि पूर्ण प्रेम इतनी गहनता से तृप्त करता है कि कोई किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकता। दूसरे का स्वप्न देखना भी असंभव है। स्वप्न इस व्यक्ति के साथ मिली अतृप्ति के कारण ही जन्मता है। तुम अन्य स्त्रियों के बारे में सोचते हो क्योंकि तुम्हारा अपनी स्त्री के साथ तृप्तिदायी संबंध नहीं रहा है। तुम अन्य पुरुषों के बारे में विचार करती हो क्योंकि मन स्वयं को उडेल देना चाहता था और यह इस संबंध में सम्भव नहीं हो पाया। इसलिए मन सारी जगह में दौड़ता-फिरता रहता है। कोई स्त्री या पुरुष जो सड़क से होकर गुजर रहा हो, तुम्हें उसके प्रति प्रेम अनुभव होने लगता है।
और अगर तुम्हारा प्रेम इतना अधिक हताश हो चुका हो कि तुम यह कल्पना भी न कर सको कि किसी व्यक्ति से अब प्रेम कर पाना संभव है तो तुम कुत्तों और बिल्लियों से प्रेम करना आरंभ कर देते हो। यह थोड़ा कम जटिल प्रतीत होता है-आलोक को यह बात नोट कर लेनी चाहिए। यह थोड़ा कम जटिल प्रतीत होता है।
एक कुत्ते को प्रेम करना सरल है...... एक बिल्ली को प्रेम करना कुछ अधिक कठिन है। इसी कारण से पुरुष स्त्रियों को बिल्लियां कहते हैं। बिल्ली के बारे में कुत्ते से कम पूर्वानुमान किया जा सकता है, वह कुत्ते से अधिक चतुर है - उसके पास अपना मन होता है। तुम कुत्ते को लात मार सकते हो और वह फिर वापस आ जाएगा; तुम बिल्ली को लात मारो, वह पुन: कभी नहीं आएगी। समाप्त। सदैव तलाक के लिए तैयार
लोग पशुओं के प्रेम में पड़ जाते हैं। कैसा दुर्भाग्य है। मैं नहीं कह रहा हूं कि पशुओं को प्रेम त करो; मैं कह रहा हूं कि उन्हें मनुष्य का विकल्प मत बनाओ। तुम्हें मनुष्यों से इतना गहरा प्रेम करना चाहिए कि तुम्हारा प्रेम अतिशय होने लगे और यह पशुओं तक भी पहुंच जाए। फिर यह पूरी तरह भिन्न होगा। तब यह वृक्षों तक भी पहुंच जाता है तब यह पूर्णत: भिन्न होता है तब यह चट्टानों तक भी पहुंच जाता है; क्योंकि तुम प्रेमातिरेक में रहते हो प्रेम का एक असीम स्रोत, किसी में भी