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और अब वे कार्यरत नहीं रहे, कुछ और सताएं, उच्चतर सत्ताएं उन पर अधिकार कर चुकी हैं। वे एक माध्यम बन गए हैं।
और यही है भी। मोहम्मद अनपढ़ थे; यह सोच पाना या कल्पना कर पाना करीब-करीब असंभव ही है कि उन्होंने कुरान जैसे सुंदर काव्य का सृजन कर लिया होगा। यह अतुलनीय रूप से सुंदर है। यह महानतम गीतों में से एक है; और यदि तुम किसी को इसका गायन करते सुन सको तो तुम तुरंत ही इससे प्रभावित हो जाओगे। भले ही तुम इसका अर्थ न समझो, इसमें अतिशय शक्ति है। इसकी ध्वनि में ही तुम्हें प्रकंपित करने की अत्याधिक शक्ति है।
मोहम्मद अनपढ़ थे, जानते ही नहीं थे कि कैसे पढ़ा जाता है, कैसे लिखा जाता है, साहित्य और शब्दों के संसार के बारे में वे कुछ भी नहीं जानते थे। अचानक ही एक पर्वत पर ध्यान करते समय वे उपलब्ध हो गए, और उन्हें सुनाई पड़ा पढ़ो।' यह शब्द पढ़ो।' लेकिन उन्होंने कहा मैं कैसे पढ़ सकता हूं? 'कुरान' शब्द का अभिप्राय है- 'पढ़ो।' मैं कैसे 'पढ़' सकता हूं? मैं तो जानता भी नहीं, मोहम्मद ने कहा, और वे बहुत अधिक घबड़ा गए। किसने कहा यह? उनको कहीं कोई दिखाई भी न पड़ा। दुबारा आवाज आई पढ़ो।' यह उनके अपने हृदय से आ रही थी; वे एक माध्यम बन गए थे और निःसंदेह वे अपने अतीत के बारे में सोच रहे थे, और यह आवाज उनके भविष्य के बारे में कुछ कह रही थी । यह आवाज कह रही थी, मैं पढ़ सकता हूं चिंता मत करो बस पढ़ो मैं तुम्हारे माध्यम से पढ़ रहा होऊंगा। तुम गाओ- मैं तुम्हारे माध्यम से गा रहा होऊंगा। तुम कहो, मैं तुम्हारे माध्यम से कह रहा होऊंगा। बस जरा अपने आप को रास्ते से हटा लो।
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यह इतना विचित्र इतना अप्रत्याशित था कि उन्हें तेज बुखार हो गया; वे इतना अधिक परेशान जो थे । वे घर आए, बीमार पड़ गए। उनकी पत्नी ने पूछा, क्या हो गया है? सुबह तो आप बिलकुल भले- चंगे थे, और इतना तेज बुखार? वे बोले, मैं तुम्हें एक बात कहता हूं या तो मैं पागल हो गया हूं या उस पार से कुछ घटित हुआ है। मुझे विश्वास ही नहीं होता कि मैं किसी काम के योग्य भी हूं लेकिन मैंने एक आवाज सुनी है जो कहती है, पढ़ो! गाओ! और मैं नहीं जानता कि क्या गाऊं - और यही नहीं, मैंने गाना शुरू भी कर दिया। मैंने खुद को वे बातें कहते हुए सुना जिनके बारे में मैंने कभी सोचा भी नहीं था, और वे परिपूर्ण काव्य की भांति, लय, ताल और सब कुछ के साथ बाहर आ रही थीं। मैं तो इस पर विश्वास ही नहीं कर सकता। या तो मैं पागल हो गया हूं या मुझ पर किसी ने कब्जा कर लिया है। अब मैं तुम्हारा वही पति नहीं रहा जो सुबह घर से गया था, दौड़ो और किसी वैद्य को बुला कर लाओ, मुझे उपचार की आवश्यकता है। में लगातार पागल होता जा रहा हूं और मुझे अब भी यही आवाज सुनाई पड़ रही है- गाओ! और सुंदर कविताएं मेरे भीतर उतर रही हैं और मेरे हृदय को भरती जा रही हैं।
पत्नी उनकी पहली शिष्या थी। उसने उनके चरणस्पर्श किए। वह उनके चारों ओर प्रभामंडल देख सकी। यह ज्वर नहीं था; यह उनके आभामंडल का प्रथम प्रस्फुटन था। वे ज्वरग्रस्त महसूस कर रहे