________________
इसी क्षण, यहां, अभी; इसे किसी समय की आवश्यकता नहीं है। समग्र हो जाना, प्रमाणिक हो जाना, तुम हो जाना—जों कुछ भी तुम हो, जैसे भी तुम हो, वही हो जाना है।
सामान्यत: तुम एक बहुत ही सीमित जीवन जीते हो। तुम अपनी ऊर्जा को पूरा खेल नहीं खेलने देते। विखंडित है जीवन। तुम किसी से प्रेम करना चाहते हो, लेकिन तुम पूरी तरह प्रेम नहीं करते। अब मैं यह नहीं कह रहा हूं कि अपने प्रेम को पूर्ण प्रेम बना दो। यह संभव नहीं है, क्योंकि पूर्ण प्रेम का अभिप्राय होगा कि अब और विकास संभव ही न रहा। यह मृत्यु हो जाता है। मैं कहता हूं अपने प्रेम को पूरा, समग्र बनाओ। प्रेम समग्रतापूर्वक करो। जो कुछ भी तुम्हारे भीतर है, इसे पकड़ कर मत रखो | इसे पूरी तरह दो, पूर्णता में दो। दूसरे में पूरी तरह प्रवाहित हो जाओ, रोको मत। यही एक मात्र चीज है जो तुम्हें समग्र बना देगी।
यदि तुम तैर रहे हो, पूरी तरह तैसे। यदि तुम चल रहे हो, पूरी तरह चलो। चलने में बस चलना ही बन जाओ, और कुछ भी नहीं। यदि तुम खा रहे हो, तो पूरी तरह खाओ।
किसी व्यक्ति ने एक बड़े झेन मास्टर चो चाऊ से पूछा : अपनी संबोधि के पूर्व आप क्या किया करते थे?
उसने कहा : मैं लकडियां काटा करता था और कुएं से पानी लाया करता था।
उस व्यक्ति ने पूछा : अब, जब कि आप संबुद्ध हो चुके हैं, आप क्या किया करते हैं?
उसने कहा : वही, मैं लकड़ियां काटता
और कुएं से पानी लाता है।
वह व्यक्ति थोड़ा चकराया, उसने कहा : लेकिन तब अंतर क्या है?
चो चाऊ ने कहा : अंतर बहुत है। पहले मैं साथ ही साथ बहुत सी चीजें और भी करता रहता था। लकड़ी काटते समय मैं अनेक चीजों के बारे में सोचता। कुएं से पानी लाते समय मैं अनेक चीजों के बारे में सोचता, लेकिन अब मैं बस पानी लाता हूं मैं बस लकड़ी काटता हूं। यहां तक कि काटने वाला भी खो चुका है। बस काटना, बस काटना; वहां कोई नहीं है।
यह तुम्हें समग्रता की अनुभूति देगा। समग्रता को अपना सतत अवधान बनाओ। इसे स्मरण रखो। पूर्णता का विचार त्याग दो। यह तुम्हें तुम्हारे माता-पिता, अध्यापकों, विदयालयों, विश्वविद्यालयों, च!.. .दवारा दिया गया है.. .लेकिन उन सभी ने तुम्हें विक्षिप्त बना दिया है। सारा संसार विक्षिप्तता से पीड़ित हो रहा है।
एक मां अपने छोटे से बच्चे को एक मनोचिकित्सक के पास ले गई, और उसने पूछा, डाक्टर, क्या दस वर्ष का कोई बच्चा एलिजाबेथ टेलर जैसी फिल्म स्टार से विवाह कर सकता है?