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समझने का प्रयास करो, और साहस करो और अपना जीवन अपने स्वयं के हाथों में ले लो। अचानक तुम्हें ऊर्जा का उद्वेलन महसूस होगा। जिस क्षण तुम निर्णय लेते हो, 'मैं अब स्वयं ही होने जा रहा हूं और कोई दूसरा नहीं। जो भी कीमत हो, लेकिन मैं स्वयं होने जा रहा हूं।' –उसी क्षण तुम एक बड़ा परिवर्तन देखोगे, तुम जीवंत अनुभव करोगे तुम्हें अनुभव होगा कि ऊर्जा प्रवाहित हो रही है, धड़क रही
है।
जब तक यह नहीं घटता तुम वृद्धावस्था से भयभीत रहोगे, क्योंकि तुम इस तथ्य को अनदेखा कैसे कर सकते कि तुम समय नष्ट कर रहे हो, और जी नहीं रहे हो और वृद्धावस्था आई जा रही है, और तब तुम जी पाने के योग्य नहीं रहोगे। इस तथ्य को देखने से तुम कैसे बच सकते हो कि मृत्यु प्रतीक्षारत है और रोज-रोज वह निकट और निकट, निकटतर आती जा रही है, और तुम तो अभी ? तुम्हें तो गहन संताप होगा ही।
इसलिए अगर तुम मुझसे पूछते हो कि क्या करूं, तो मैं तुमसे आधारभूत बात कहूंगा। और यह सदा ही आधारभूत प्रश्न रहा है। कभी भी दूसरी बातों से परेशान मत होओ, क्योंकि उनको तुम बदल सकते हो, फिर भी कुछ बदलेगा नहीं आधारभूत को बदल दो । । ।
उदाहरण के लिए, क्या है दूसरी बात?
मैं बूढ़ा होने से सदा भयभीत क्यों रहता हूं? मुझे इससे छुटकारा पाने का मार्ग दिखाएं।'
यह प्रश्न ही भय के कारण उठ रहा है तुम इससे छुटकारा पाना चाहते हो, इसे समझना नहीं चाहते हो, इसलिए निःसंदेह तुम किसी व्यक्ति या विचारधारा के चंगुल में फंसने जा रहे हो जो तुम्हारी इससे छुटकारा पाने में सहायता करे। मैं तुम्हारी इससे छुटकारा पाने में सहायता नहीं कर सकता । वस्तुतः समस्या ही वही है मैं चाहूंगा कि तुम समझो और अपना जीवन बदलो यहां समस्या से छुटक्टरा पाने का प्रश्न है ही नहीं, यह तो तुम्हारे मुखौटे से तुम्हारे झूठे ओढ़े गए व्यक्तित्व- जिस ढंग से तुमने होने का प्रयास किया है और जो सच्चा रास्ता नहीं है से छुटकारा पाने का प्रश्न है। तुम प्रामाणिक – नहीं हो। तुम अपने स्वयं के प्रति निष्ठावान नहीं हो, तुम अपने अस्तित्व को छलते रहेहो तो अगर तुम पूछते हो पुरोहित हैं, दर्शनशास्त्री हैं, और जननायक हैं, यदि तुम जाओ और उनसे पूछो कि इससे छुटकारा कैसे पाऊं? वे कहेंगे, 'आत्मा कभी की नहीं होती चिंता मत करो। बस याद कर लो कि तुम आत्मा हो। यह तो शरीर है, तुम शरीर नहीं हो।' उन्होंने तुम्हें सांत्वना दे दी। हो सकता है कि एक क्षण के लिए तुम अच्छा अनुभव करो, लेकिन इससे तुम्हें कोई सहायता न मिलेगी, यह तुम्हें बदलने नहीं जा रहा है। कल फिर पुरोहित के प्रभाव से बाहर होते ही तुम इसी नाव में होगे ।