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एक अंदरूनी वार्ता बन जाएगी और तुम हर ओर देख रहे होगे, हर ओर गहरे में अतृप्त आत्मा के साथ। तुम करीब-करीब एक भिखमंगे बन जाते हो, भीख ही भीख मांगते 'हुए और दोषी अनुभव करते हुए, लगभग किसी अपराधी की तरह बुरा अनुभव करते हुए। केवल एक दृष्टिकोण के कारण। ऐसा प्रतीत होता है कि तुम धार्मिक लोगों से, चर्च से, मंदिर से पुरोहित से, अत्यांधिक प्रभावित रहे हो।
मैं तुमसे एक कहानी कहना चाहता हूं :
एक पुराने अनुभवी चिकित्सक ने, जिसका पुत्र अभी मेडिकल कॉलेज से स्नातक हुआ था, उसे अपने व्यवसाय के बारे में कुछ टिप्स देने का निर्णय लिया। एक दिन उसका पुत्र भी अस्पताल के राउंड पर निकले अपने चिकित्सक पिता के साथ था। जिस पहले रोगी को उन्होंने देखा, उसे उसके पिता ने धूम्रपान में कमी लाने को कहा।
आप इस निष्कर्ष पर किस प्रकार पहुंचे? पुत्र ने पूछा ।
बस जरा उसके कमरे में चारों ओर निगाह तो दौड़ाओ, और देखो सिगरेट के कितने सारे टोटे पड़े हैं, उसका उत्तर था।
दूसरे रोगी को इतनी अधिक चॉकलेट न खाने के लिए कहा गया। पुनः वह नया चिकित्सक विस्मित हुआ, कैसे जाना? वह बोला ।
तुम देखते ही नहीं हो, पिता ने कहा, यदि तुमने देखा होता तो तुमने उस स्थान पर चारों ओर पड़े चॉकलेट के बहुत सारे खाली बाक्स देख लिए होते।
मैं सोचता हूं कि आपकी बात मेरी समझ में अब आ चुकी है, पुत्र ने कहा। अगले रोगी को मुझे देखने दै।
उस महिला से जो तीसरी रोगी थी, पुत्र ने चर्च, धर्म और पादरियों से परहेज करने को कहा । आश्चर्यचकित पिता ने अपने पुत्र से पूछा कि वह विचित्र निष्कर्ष पर कैसे पहुंचा, क्योंकि वार्तालाप में तो चर्च का कहीं उल्लेख तक नहीं हुआ था और उस स्थान पर चारों ओर कहीं चर्च हो भी नहीं सकते। ठीक है पिताजी, यह इस प्रकार से हुआ, पुत्र ने कहा, आपने ध्यान दिया कि मैंने थर्मामीटर गिरा दिया था? जब मैं इसको उठाने के लिए नीचे झुका तो मुझको पलंग के नीचे धर्म-उपदेशक लेटा हुआ दिखाई पड़ा।
यही है जो मैं देखता हूं तुम्हारे पलंग के नीचे धर्म-उपदेशक है, तुम्हारे पलंग के ऊपर एक धर्मोपदेशक है, उस स्थान पर चारों ओर मंदिर और चर्च हैं। इनको त्यागो, थोड़ा और मुक्त हो जाओ।