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४.
५.
१.
२.
३.
४.
५.
६.
७.
१.
२.
३.
४.
पाँच प्रकार की चरणांगुलि निरूपण
५.
बहिर्गत
अन्तर्यात
१.
२.
३.
४.
५.
६.
गुल (हाथों की उँगलियों) के भेद
वियुक्ता
संहता
बा
पतिता
वलिता
प्रसृता
कुञ्चन्मूला
छह प्रकार के पादतल का निरूपण
पादतल के भेद
कुञ्चन्मध्य
तिरश्चीन
चरणांगुलि (पैरों की उँगलियों) के भेद : प्रसारिता और उसका विनियोग अधः क्षिप्ता और उसका विनियोग उत्क्षिप्ता और उसका विनियोग कुञ्चिता और उसका विनियोग संलग्ना और उसका विनियोग अंगुष्ठ के लक्षण विनियोग
विषयानुक्रम
पतिताग्र
अधोगत
उद्वृत्ताग्र
भूमिलग्न
श्लोक संख्या
५९१
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५९२
५९२
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५९३
५९४
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पृष्ठ संख्या
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