Book Title: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth
Author(s): Nathmal Tatia, Dev Kothari
Publisher: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : प्रथम खण्ड
इसी प्रवाह में विसर्जन का स्रोत बहा एवं धारणा न थी वात्सल्य का स्रोत बहाया उस यात्रा के बीच, सचमुच कि शायद रायर जैसे छोटे क्षेत्र में लोग अपनी उदारता का हमारे जीवन की सद्भागी घड़ियाँ वह थीं। मानों हम परिचय देंगे, किन्तु जो कुछ अच्छा दृश्य वहाँ देखा वह उनके साथ एक 'त्यागलोक की दिव्य आत्मा' के साथ घूम था श्रीमान् सुराणाजी के व्यक्तित्व व सुन्दर प्रतिभा का रहे थे। प्रभाव।
सूर्यास्त होता, आप कहीं भी स्थान मिले, रुक जाते, हम कच्छ के अन्य क्षेत्र भुज, गांधीधाम आदि क्षेत्रों में कितना गहरा त्याग, सीमित द्रव्यों का भोजन, नंगे पैरों से गये, वहाँ भी हमने देखा आपके प्रति लोगों का समर्पण- चलना, त्यागवृत्ति, समय-समय पर समता की भावना और भाव, विनयभाव व सम्मान-भरी भावनाएँ।
पल-पल अप्रमादमय वृत्तियाँ, मैंने देखीं इनके जीवन में । ___मैं स्वयं आश्चर्यमय था इस परमार्थी त्यागी आदमी हम शासन व शासनपति के लिए अपना सर्वस्व अर्पण को देखकर । तीन दिन तक इनके साथ यात्रा में जो कुछ करने को भी तैयार रहें, मानवहित व शिक्षा के लिए जानने का व अनुभव का मौका मिला। प्रवास में थकान जीवन-भर काम करते रहें व जो कुछ कार्य करें वह के बावजूद आपका वही संयममय जीवन, सामायिक, बिल्कुल अप्रमत्तभाव से करें व संयममय जीवन से अपने समतामय-वृत्ति, द्रव्यों का संयम आदि बराबर ही अबाध जीवन को महान् बनावें, कितने महान् व ऊँचे विचार हैं गति से चलता रहा। हमारे लिये आपने जो प्रेम व आपके ।
00 कार्यकुशलता का जीवंत प्रमाण
डा० बी० जुगराज सेठिया (कन्टालिया) काकाजी को विशेषणों से विभूषित करना उनकी उप- सेवा-भावना का परिचायक है। निरन्तर सामायिक लब्धियों को विशृखलित करना है। उन्हें शब्दों में समाहित स्वाध्याय में अनुरंजित रहने पर भी सारे सामाजिक व करना उनके व्यक्तित्व को प्रच्छन्न करना है। श्री जैन संघीय उत्तरदायित्वों का भलीभाँति निर्वाह कर लेना श्वेताम्बर तेरापन्थी मानव हितकारी संघ के संस्थापक, आपकी धर्मनिष्ठा, कार्यकुशलता व अनुशासित जीवन का संरक्षक व सर्वेसर्वा के परिवेश में उनका विशाल व्यक्तित्व, जीवन्त प्रमाण है। उनकी अद्भुत कार्यक्षमता, लगन व सेवा-भावना प्रतिपल श्री सुराणाजी की इस विजय-यात्रा में उनकी सहप्रतिबुद्ध होती है। सादगी से ओत-प्रोत श्री सुराणाजी के गामिनी श्रीमती सुन्दरबाई ने जो आलम्बन प्रतिपद दिया है बहुमूल्य योगदान व सहयोग से कांठा-मही का शिक्षण संघ वह सराहनीय है । काकाजी अपने लक्ष्य की ओर जिस गति पल्लवित हुआ है।
से आगे बढ़े हैं उसमें निस्सन्देह श्रीमती सुन्दरबाई सुराणा लगभग प्रति वर्ष राणावास विद्याभूमि में साधु- का योगदान अतुलनीय रहा है। साध्वियों का चातुर्मास श्री सुराणाजी की गुरु-भक्ति व
00 प्रथम अग्रेसर दोपक
॥ श्री गणेशलाल चोरड़िया (पुर) मेरा व्यक्तिगत सम्पर्क आदरणीय सुराणाजी से नहीं यदि आपका अनुसरण समस्त समृद्धिशाली व्यक्ति करें हुआ, किन्तु किसी महान व्यक्तित्व के बारे में परोक्ष रूप और आचार्यप्रवर के इंगित के अनुसार विसर्जन को अपना से ज्ञात बातें साक्षात्कार से भी अधिक महत्त्व की होती हैं। लें तो विश्व में नैतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना में सहस्रगुणित कौन नहीं जानता इस नर-केसरी को, जिसके हृदय में वृद्धि हो सकती है। किन्तु किसी ने सत्य कहा है कि दीपक समाज के नव-निर्माण हेतु नई पौध में संस्कारों के बीज की लम्बी बाती का केवल एक ही छोर अपने को तिलवपन करने की नियमित तड़प हो, जिसके अपने जीवन का तिल जलाकर संसार को प्रकाश दिखाता है तो उससे अधिकांश भाग समाजरूपी भवन के नव-निर्माण में खपा सैकड़ों दीपक जल सकते हैं, ऐसी हालत में महत्त्व तो प्रथम हो। ऐसे बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी श्री केसरीमलजी अग्रेसर दीपक को ही मिलता है। सुराणाजी के प्रति सिर सहज ही झुक जाता है।
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