Book Title: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth
Author(s): Nathmal Tatia, Dev Kothari
Publisher: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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सिरोही जिले में जैन धर्म
डॉ० सोहनलाल पटनी, [ स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग, राजकीय महाविद्यालय, सिरोही ( राजस्थान ) ]
अर्बुद मण्डल के नाम से विख्यात था । अर्बुद मण्डल
सं० १४८५ में सिरोही की स्थापना के पूर्व यह क्षेत्र का महत्त्व अर्बुद पुराण से ज्ञात होता है। जैन धर्म की दृष्टि से इस प्रदेश का इतिहास भगवान पार्श्वनाथ के गणधर केशी से प्रारम्भ होता है। इन मी rear ने विरोही जिले के प्राचीनतम तीर्थ ब्राह्मणवाटक (वामनवाजी में भगवान महावीर के जीवित स्वामी बिम्ब की प्रतिष्ठा की थी। जैन जगत् में आज भी यह उक्ति प्रसिद्ध है कि नाणा (पाली जिला ), दियाणा (सिरोही जिला ) एवं नांदिया के मन्दिर जीवित स्वामी मन्दिर हैं ।
नाणा दियाणा नांदिया जीवित स्वामी वांदिया
जीवित स्वामी या जीवंत स्वामी तीर्थं उस तीर्थ को कहते हैं जिसकी स्थापना भगवान् महावीर के जीवनकाल में ही हो चुकी थी। भगवान् महावीर के बड़े भाई नंदिवर्द्धन ने नांदिवा गाँव में भगवान् के भव्य मन्दिर की स्थापना की। नांदिया चैत्य की भगवान् महावीर की यह मूर्ति सपरिवार अष्ट प्रातिहार्य वाली है, जिसकी समता की मूर्ति अन्यत्र मिलना कठिन है ऐसी भी जनवृति है कि भगवान के कानों में कीलें ठोकने का उपसर्ग इसी ब्राह्मणवाटक स्थान पर हुआ था एवं यही प्रदेश अनावं प्रदेश था चण्डकौशिक का उपसर्ग भी नांदिया के मन्दिर के पास ही हुआ था जिसका उत्कीर्णन एक पहाड़ी शिला पर आज भी देखा जा सकता है । मुण्डस्थल महातीर्थ ( वर्तमान मूंगथला ) के सं० १२१६ के स्तम्भ लेख के अनुसार भगवान् महावीर छद्मस्थावस्था में अर्बुद भूमि में विचरे थे । इसकी पुष्टि भीनमाल के महावीर मन्दिर के वीर सं० १३३४ के लेख से भी होती है कि वीर प्रभु यहाँ विचरे थे । '
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मुण्डस्थल के इस लेख के अनुसार श्री वीर के सेंतीसवे वर्ष में पूर्णराज (?) नामक राजा ने श्री वीर भगवान् की सुन्दर मूर्तियाँ बनवाई थीं एवं उनकी प्रतिष्ठा श्री पार्श्वनाथ भगवान् के संतानीय श्री केशी गणधर ने की थी । १२वीं सदी में श्री महेन्द्र सूरि ने अपने अष्टोतरी तीर्थमाला में इस तथ्य की पुष्टि की है। श्री वीर प्रभु के आठवें पट्टधर श्री अ महागिरि सूरि और आप सुहत्तिरि के समय में आज से लगभग २२०० वर्ष पहले सम्राट अशोक के पौत्र जैन धर्म मण्डन महाराज सम्प्रति ने सिद्धगिरि, रेंवतगिरि, शंखेश्वर, नंदिया ( नांदिया ) एवं ब्राह्मणवाटक (नामनवाडजी) तीर्थ की यात्रा की थी। नांदिया एवं बामनवादजी सिरोही जिले में ही है। महाराज सम्प्रति ने इस जिले में कई जैन मन्दिरों का निर्माण करवाया था, ऐसी जनश्रुति है ।
१. आक्योंलोजिकल रिपोर्ट सन् १९०७-८ श्री श्वेताम्बर कान्फरेन्स हेराल्ड जुलाई-अक्टूबर १९१५ एवं उपागच्छीय पट्टावली पृ० ३२८ से ३७३.
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