Book Title: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth
Author(s): Nathmal Tatia, Dev Kothari
Publisher: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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बलिदान और शौर्य की विभूति भामाशाह
डॉ० देवीलाल पालीवाल निदेशक, साहित्य संस्थान, राजस्थान विद्यापीठ, उदयपुर
इतिहासप्रसिद्ध स्वातन्त्र्य योद्धा मेवाड़ के महाराणा प्रतापसिंह (१५४०-१५६७) के साथ कर्मवीर भामाशाह का नाम राष्ट्रीय इतिहास में अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है। विदेशी दासता के विरुद्ध राष्ट्रीय स्वतन्त्रता आन्दोलन काल में दोनों ऐतिहासिक व्यक्तित्व स्वतन्त्रता के लिये जूझने वाले भारतीय स्वतन्त्रता सेनानियों के लिये त्याग, तपस्या, साहस और वीरता के अनवरत प्रेरणास्रोत बने । विदेशी गुलामी को अस्वीकार कर प्रताप ने स्वतन्त्रता की रक्षा के लिये सभी प्रकार के ऐश्वर्य प्रलोभनों और मुख की जिन्दगी को छोड़ा और अपने परिजनों सहित जीवन-पर्यन्त पहाड़ों एवं जंगलों में संकट झेलते हुए एवं अत्यन्त साधारण जीवन जीते हुए आजादी के लिये संघर्ष किया। महाराणा प्रताप के प्रधान भामाशाह ने अपने शासक का अनुसरण किया और अपने परिजनों तथा सभी सुख-साधनों को स्वतन्त्रतासंघर्ष में होम दिया । मेवाड़ के इस स्वतन्त्रता-संघर्ष में भामाशाह एक साहसी एवं कुशल योद्धा, एक सुविज्ञ एवं चतुर प्रशासक तथा सक्षम एवं दूरदर्शी व्यवस्थापक के रूप में उभरा । यदि प्रताप के जीवन-आदर्शों एवं संघर्ष ने भारत के जन-जन को स्वतन्त्रता के लिए मर-मिटने एवं सर्वस्व बलिदान करने के लिये प्रेरित किया तो भामाशाह के उदाहरण ने देश के सम्पन्न धनिक वर्गों को देश के प्रति अपने कर्तव्यों का भान कराया, उनमें देशभक्ति की भावना पैदा की तथा देश के लिये स्वयं को, अपने परिजनों को तथा अपने साधनों को अर्पित करने के लिये प्रेरणा दी। यही कारण है कि महाराष्ट्र और गुजरात से लेकर बंगाल और आसाम तक तथा काश्मीर से लेकर केरल तक राष्ट्रीय साहित्य में महाराणा प्रताप के साथ-साथ भामाशाह का स्मरण एक वीर योद्धा के साथ-साथ दानवीर एव बलिदानी देशभक्त के रुप में किया गया है। स्वतन्त्र और जनतन्त्रीय भारत के वर्तमान राष्ट्रीय सन्दर्भ में भी इन दोनों ऐतिहासिक व्यक्तित्वों के जीवन आदर्शों एवं राष्ट्रीय देन के महत्त्व को आसानी से आँका जा सकता है। आज जबकि देश में स्वार्थपरता, . अनैतिकता और ऐश्वर्य-साधना की होड़ लगी हुई है, राष्ट्रीय एवं सार्वजनिक हितों पर प्रहार करके, सामान्य जन के हितों का बलिदान करके उच्च वर्गों में अपने और अपने परिजनों के हित साधन की प्रवृत्ति फैली हुई है, प्रताप का उच्च चरित्र, राष्ट्रीय हितों पर निजी हितों को कुर्बान करने, भोग-विलास के जीवन का त्याग करके जन साधारण के समान एवं उनके साथ जीवन जीकर संघर्ष करने, अपने सिद्धान्तों, आदर्शों और प्रतिज्ञाओं का दृढ़ता से पालन करने का उनका जीवन-व्यवहार वर्तमान भारतवासियों के लिये प्रेरणास्पद है। उसी भाँति भामाशाह का बलिदानी जीवन देश के वर्तमान उच्च प्रशासक एवं सम्पन्न वर्गों को उलाहना दे रहा है. जिनमें अनैतिकता और शोषण की प्रवृत्ति का व्यापक रूप से प्रसार हो रहा है ।।
____ अब तक की गई व्यापक शोध के बावजूद भामाशाह के जीवन एवं कृतित्व के सम्बन्ध में अपर्याप्त जानकारी मिली है। भामाशाह ने कावड़िया गोत्र के ओसवाल कुल में जन्म लिया और उसके पिता का नाम भारमल था, इसकी स्पष्ट जानकारी प्राचीन ग्रन्थों में मिलती है। समकालीन कवि हेमरत्न सूरि कृत “गोरा बादल कथा पद्मनी चउपई' ग्रन्थ की प्रशस्ति में उल्लेख मिलता है
१. हेमरत्न सूरि एक अयाचक साधु थे। मेवाड़ के प्रधान भामाशाह के भ्राता ताराचन्द ने, जो महाराणा
प्रताप की ओर से गोडवाड़ इलाके का प्रशासन करते थे, इनसे यह रचना करवाई थी। वि०सं० १६४५ की
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