Book Title: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth
Author(s): Nathmal Tatia, Dev Kothari
Publisher: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : द्वितीय खण्ड
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अधीक्षक हर समय बना रहता है। अधीक्षक छात्रों के गृह-कार्य की देखरेख करता है ताकि वे नियमित रूप से गृहकार्य करते रहें।
इस प्रकार की व्यवस्था के कारण प्रतिवर्ष यहाँ हर कक्षा का परीक्षाफल अत्युत्तम रहता है। विशेष तौर से बोर्ड की परीक्षाओं के परीक्षाफल सदैव उत्तम रहे हैं। आध्यात्मिक संस्कार
छात्रावास के छात्रों को शैक्षणिक योग्यता देने के साथ-साथ आध्यात्मिक संस्कार भी दिये जाते हैं। अच्छी आदतों को डालने का प्रयास कराया जाता है।
तेरापंथ के नवमाचार्य अणुव्रत आन्दोलन के प्रवर्तक युग-प्रधान आचार्य श्री तुलसी की इस छात्रावास पर सदैव अनुकम्पा रही है। नन्हे-नन्हे बालकों पर महान् कृपाकर पूज्य गुरुदेव प्रतिवर्ष यहाँ साधु या साध्वियों का चातुर्मास फरमाते हैं। चातुर्मास की अवधि में साधु या साध्वीवृन्द प्रतिदिन छात्रावास में पधारते हैं व धार्मिक शिक्षण देते हैं।
विद्यार्थीवर्ग प्रतिदिन एक सामायिक करते हैं और उसी समय में चरित्रात्माएँ उन्हें धार्मिक बोध देते हैं। धामिक शिक्षण के साथ-साथ प्रति रविवार या अन्य अवकाश के दिन चारित्रात्माओं द्वारा व्याख्यान दिया जाता है, जो चरित्र एवं नैतिकता से परिपूर्ण होता है। नाना प्रकार की सुलघुकथाओं व मधुर संगीत द्वारा छात्रों के कोमल हृदय पर गहरा असर पड़ता है। खासतौर से यह शिक्षा दी जाती है कि हमें अपना जीवन किस प्रकार बिना किसी की आत्मा को कष्ट पहुँचाए जीना चाहिए। चरित्र और नैतिकता के धनी, त्यागवीर कर्मठ कार्यकर्ता श्री केसरीमलजी सुराणा क। छात्रों के बीच समय-समय पर उपदेश होता रहता है, उनके नाना प्रकार के उपदेशों से व उनके त्यागमय जीवन का असर छात्रों पर पड़े बिना नहीं रहता है।
समय-समय पर यहाँ समाज के एवं अन्य विशिष्ट व्यक्तियों का आगमन होता रहता है, जिनसे भी व्याख्यान एवं विशिष्ट बातें सुनने का सुनहरा अवसर प्राप्त होता है। धार्मिक परीक्षाएँ
जैन विश्व भारती द्वारा संचालित परीक्षाओं का राणावास सबसे प्रमुख केन्द्र स्थल है। प्रतिवर्ष वहाँ की परीक्षाएँ दी जाती हैं। प्रतिवर्ष अणुव्रत परीक्षाएँ भी होती हैं, जो नैतिकता से परिपूर्ण व जीवन-व्यवहार की शाद का परम सोपान है।
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पुस्तकालय
आदर्श निकेतन छात्रावास के पुस्तकालय में प्रायः धार्मिक व नैतिकता से परिपूर्ण पुस्तकों का संग्रह है। करीब दो हजार पुस्तकें पुस्तकालय में हैं। प्रतिदिन सुबह व सायं प्रार्थना के बाद अधीक्षकों द्वारा जीवन-व्यवहार की बातों, धार्मिक बातों, चरित्र और नैतिकता की बातों का उद्बोधन होता है। इस तरह विद्यार्थी को व्यावहारिक व धार्मिक संस्कार की बातें मिलती रहती हैं। बीमारी के समय छात्रों की देख-रेख
छात्रावास में बीमार छात्रों का पूरा-पूरा ध्यान रखा जाता है। जिस समय छात्र बीमार हो जाता है तो उसके इन्चार्ज अधीक्षक उसी समय दवाई दिलवाने हेतु औषधालय में भेज देते हैं और जब तक विद्यार्थी पूर्ण स्वस्थ न हो तब तक औषधालय में ही रहता है।
विशेष रुग्ण होने पर छात्र को छात्रावास के किसी कर्मचारी के साथ घर भेज दिया जाता है या छात्र के घर पत्र, तार या टेलीफोन देकर उसके अभिभावक को बुला लिया जाता है। बीमारी की अवस्था में डाक्टर के कहे अनुसार ही उसके पथ्य की व्यवस्था की जाती है। बीमार छात्रों की देख-रेख औषधालय में स्थित डाक्टर करते
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