Book Title: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth
Author(s): Nathmal Tatia, Dev Kothari
Publisher: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
View full book text
________________
सेठ श्री मोतीलाल बंगाणी औषधालय, राणावास
२५३ .
रोगियों की संख्या-औषधालय में मानव हितकारी संघ द्वारा संचालित सभी संस्थाओं के छात्रों व कर्मचारियों को जिनकी संख्या लगभग ७०० के करीब है, उन सबको चिकित्सा सेवा उपलब्ध है। गर्मियों में प्रतिदिन ५० से ६० तक एवं सर्दियों में ६० से १०० तक बीमार औषधालय में आकर इलाज करवाते हैं। जुलाई १९७८ से लेकर जून १९८० तक बाह्य रोगियों के रूप में २१८२१, अन्तरंग रोगी के रूप में ३८४ तथा माइनर आपरेशन १२१५ व्यक्ति (छात्र कर्मचारी) इस औषधालय से लाभ उठा चुके हैं । इन आंकड़ों से औषधालय की सार्थकता स्वयं सिद्ध है।
अन्य सुविधायें-औषधालय द्वारा समय-समय पर मलेरिया निरोधक गोलियाँ वितरित की जाती हैं। आवश्यकता अनुभव होने पर टिटेनस के इंजेक्शन लगाये जाते हैं। चेचक के टीके लगाये जाते हैं और सर्प काटने का इलाज भी किया जाता है।
ग्रामीण चिकित्सा केन्द्र श्री हस्तीमल घीसूलाल गादिया औषधालय, रामसिंहजी का गुड़ा
यह औषधालय भी श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी मानव हितकारी संघ, राणावास द्वारा ही रामसिंह जी का गुड़ा गांव में संचालित किया जाता है। इसका शिलान्यास श्री शेरनाथजी ने किया । जब वे खारची में विकास अधिकारी थे तब यह जमीन आवंटित हई थी। इसका उद्घाटन ग्रन्थनायक कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा ने किया है । यह फरवरी १९८० से ही चालू हुआ है और अभी प्रारम्भिक अवस्था में है। उपर्युक्त मोतीलाल बैगाणी
औषधालय के डाक्टर प्रेमचन्द रावल ही इस औषधालय का काम-काज देखते हैं । अभी यह प्रति सोमवार तथा शुक्रवार को ही सप्ताह में दो बार खुलता है और खुलने का समय सदियों में प्रातः ६ से १ बजे तक एवं गर्मियों में ८ से ११ बजे तक रहता है। प्राथमिक चिकित्सा की समस्त दवाइयाँ यहाँ पर उपलब्ध हैं । यह सार्वजनिक चिकित्सालय है, जिसमें गाँव का कोई भी व्यक्ति आकर मुफ्त में इलाज करा सकता है। अन्तरंग रोगी के रूप में बीमार को भर्ती करने की भी व्यवस्था है। इस हेतु औषधालय में अभी १३ बैड लगे हुए हैं। औषधालय जब खुलता है, उस अवधि के लिए एक पार्ट टाइम वार्डबोय भी नियुक्त किया हुआ है। औषधालय में अन्य सुविधाएँ भी जुटाई जा रही हैं । मानव हितकारी संघ का यह प्रयास है कि धीरे-धीरे इस औषधालय को ग्रामीण चिकित्सा के एक बृहत् चिकित्सालय के रूप में विकसित किया जाय । फरवरी १९८० से आरम्भ हुए इस औषधालय में प्रथम छ: माह में ही लग भग २३६१ रोगियों ने लाभ उठाया है, जिसमें माइनर आपरेशन के ६१ रोगी भी सम्मिलित हैं। इतने कम समय में रोगियों की इतनी अधिक संख्या को देखते हुए श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी मानव हितकारी संघ, राणावास इसका शीघ्र विस्तार करने से लिए उत्सुक है।
एक उल्लेखनीय तथ्य यह है कि इसके भवन के निर्माण के लिए श्री पारसमलजी गादिया ने इकत्तीस हजार रुपये प्रदान किये, अत: उनके पिताजी के नाम से इसका नामकरण किया गया । यह भी ज्ञातव्य है कि पहले इस भवन को यहाँ के स्कूल के छात्रावास के रूप में ही निर्मित किया गया था, किन्तु उस समय छात्रावास के स्थान पर गाँव में औषधालय की प्रबल आवश्यकता थी। गाँव तथा उसके आस-पास कोई भी चिकित्सालय नहीं था। ग्रन्थनायक काकासा ने इस बात को ध्यान में रखकर छात्रावास के स्थान पर इसे औषधालय के रूप में विकसित करने के विचार व्यक्त किये । श्री पारसमलजी गादिया ने इस हेतु अपनी सहर्ष स्वीकृति प्रदान कर दी तथा इस औषधालय के संचालन हेतु इकत्तीस हजार रुपये और देने की घोषणा की। इसका प्रारंभ अच्छे शकुन से हुआ है, अत: आर्थिक कठिनाई आने की संभावना नहीं है और आशा है, इसका विस्तार अवश्यंभावी है ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org