Book Title: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth
Author(s): Nathmal Tatia, Dev Kothari
Publisher: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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जैन-दर्शन में मानववादी चिन्तन
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अतः जैन-दर्शन के नैतिक-मूल्यों का आधार अहिंसा है। अहिंसा ही मानव की सुदृढ़ आधार-शिला है । भगवान् महावीर ने अहिंसक-समाज के लिए सबसे अधिक बल प्रदान किया है, जो प्राणी-मात्र के लिये उपयोगी है।' इस अहिंसा व अध्यात्मवादी चिन्तनाओं से अनेक समस्याओं का समाधान हो सकता है। ये आचार-दर्शन की मान्यताएँ आधुनिक समाज के लिये पर्याप्त उपयोगी सिद्ध हो चुकी हैं ।
१. नवभारत टाइम्स (दैनिक पत्र), नई दिल्ली, ३१-३-१९८० ।
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भिद्यतां सम्प्रदायास्तु न धर्मो भेदमावहेत् । सम-हर्य-कुटीरेषु, किमाकाशं विभिद्यते ।।
-वर्द्धमान शिक्षा सप्तशती (श्री चन्दनमुनि रचित)
मम्प्रदाय भिन्न-भिन्न हो सकते हैं, धर्म में भेद नहीं हो सकता। क्या आकाश–घर, महल और झोंपड़े में भिन्न हो सकता है ?
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