Book Title: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth
Author(s): Nathmal Tatia, Dev Kothari
Publisher: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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जैन साहित्य में कोश-परम्परा
४२६
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अभिधानराजेन्द्रकोश की श्लोक संख्या साढ़े चार लाख है। अकारादि वर्णानुक्रम से साठ हजार प्राकृत का संकलन है।'
इस कोश की विशेषता यह भी है कि कोशकार ने प्राकृत, जैन-आगम, वृत्ति, भाष्य, चूणि आदि में उल्लिखित सिद्धान्त, इतिहास, शिल्प, वेदान्त, न्याय, वैशेषिक, मीमांसा आदि का भी इसमें संग्रह किया है। यह कोश रतलाम से सात भागों में प्रकाशित हुआ है। इस कोश में प्राचीन टीका, व्याख्या तथा ग्रन्थान्तरों का भी उल्लेख मिलता है। तीर्थ और तीर्थंकरों के बारे में भी बताया गया है।'
संक्षेप में कोश निम्न प्रकार है
ऋ० सं०
भाग
वर्ण
पृष्ठ
प्रकाशनकाल
८९४
प्रथम भाग द्वितीय भाग तृतीय भाग चतुर्थ भाग पंचम भाग पष्ठ भाग सप्त भाग
अ वर्ण आ-ऊ ए-क्ष ज-न प-भ म-व
११७८ १३६४ २७७८ १६३६ १४६६ १२४४
१६१० १६१३ १६१४ १९१७ १६२१ १९२३
स-ह
१६२५
इस प्रकार अभिधान राजेन्द्र कोश पाठकों के लिए बृहत् ज्ञान प्रस्तुत करता है।
मुनि रत्नचन्द्र : अर्धमागधी कोश-इस कोश के प्रणेता मुनि रत्नचन्द्र हैं। ये लीम्बड़ी सम्प्रदाय के स्थानकवासी साधु थे। मुनि जी का जन्म संवत् १९३६ वैशाख शुक्ल १२ गुरुवार को हुआ। ये कच्छ में भरोसा नामक ग्राम के निवासी थे। आपका विवाह तेरह वर्ष की अवस्था में हुआ। सं० १९५३ में पत्नी की मत्यु हो गयी। तत्पश्चात् इन्हें संसार से विरक्ति हो गयी और दीक्षा ले ली। इन्होंने जीवन के उत्तर काल में इस महाकोश की रचना की।
अर्ध मागधी कोश मूलत: गुजराती में लिखा गया। इस कोश की रचना में मुनि उत्तमचन्द जी, आत्माराम जी, मुनि माधव जी, तथा मुनि देवेन्द्र जी ने भी सहयोग दिया। इसका हिन्दी तथा अंग्रेजी में रूपान्तर प्रीतम लाल कच्छी तथा उनके सहयोगी विद्वानों ने किया । यह कोश निम्न रूप में प्रकाशित हुआ है
भाग
वर्ण
पृष्ठ
प्रकाशन वर्ष
५१२
प्रथम भाग द्वितीय भाग तृतीय भाग चतुर्थ भाग
अ आ-ण त-ब
१००२ १००० १०१५
१६२३ १६२७ १६२६ १६३२
भ-ह
(परिशिष्ट सहित)
१. अभिधान राजेन्द्र कोश, भूमिका पृष्ठ १३ २. अभिधान राजेन्द्र कोश, भूमिका पृ० १३
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