Book Title: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth
Author(s): Nathmal Tatia, Dev Kothari
Publisher: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
View full book text
________________
YO
२६२
कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुरणा अभिनन्दन ग्रन्थ : द्वितीय खण्ड
प्रसन्न थे, क्योंकि व्यापार खब चला। उस क्षेत्र में तेरापंथ धर्म संघ का जड़ सुदृढ़ हो गयी जबकि तीस वर्ष पहले यहाँ इसका विपरीत वातावरण था । व्यवस्था में चार घर प्रमुख थे। श्री बंशीलालजी सुराणा अग्रणी देखे गये । उन्होंने अन्य जैन समाज की उपेक्षा पर भी साहस से कार्य किया और शान्ति व सौहार्द से व्यवस्था जुटा पाने में सफल रहे । श्री आचार्य प्रवर बड़े प्रसन्न रहे ।
लुधियाना नगर परिषद् के कमिश्नर महोदय ने 'नवलखा गार्डन कालोनी' के नाम को परिवर्तन कर उसका नाम आचार्य तुलसी कुंज' रख दिया । वहाँ जमीन खरीद ली गयी और एक भवननिर्माण का कार्य उठा लिया गया, जिसमें सहस्रों रुपये आगन्तुक गणमान्य सज्जनों ने देना घोषित किया और एक ट्रस्ट निर्मित किया गया, ताकि स्थायित्व बना रहे और उसका विधिवत् संचालन होता रहे ।
दिनांक १०-१२ अक्टूबर लुधियाना से प्रस्थान जम्मू के लिए
पंचकुला में, जो बोडिंग के कारण वर्षों से समुचित व्यवस्था चली
दिनांक १८ अक्टूबर, प्रातः ४ बजे बसें चण्डीगढ़ के लिए रवाना हुईं। प्रसिद्ध रहा है, प्रातःकालीन नाश्ते का प्रबन्ध रखा गया। विशाल प्रांगण में आ रही है। यह श्रा जैन मूर्तिपूजक संघ के तत्वावधान में है । वहाँ से चण्डीगढ के मुख्य मार्गों से बसें गुजरी और रोक गार्डन खासकर देखा, जो विशेष देखने योग्य है। विश्वविद्यालय तथा दूसरे गार्डन (garden) भी देखने योग्य हैं। चण्डीगढ़ का निर्माण आधुनिक ढंग से पश्चिमी शिल्प कला के आधार पर हुआ है। यह देश का सबसे नवीनतम आधुनिक नगर है । वहाँ से रवाना हो शाम तक भाखरा बांध पहुँचे । यह देश का महानतम बांध है । मानवीय तकनीकी विकास का उत्कर्ष नमूना है । सतलज नदी के पानी का उपयोग राष्ट्रीय हित में सर्वाधिक किया गया है । नांगल बांध कुछ नीचे की ओर है, जहाँ पर ऊर्जा ( Energy) सृजन की जाती है और पानी की नहरें निकलती हैं । इससे पंजाब और हरियाणा में सर्वत्र नहरों का जाल बिछा हुआ है। राजस्थान की मरुभूमि भी लाभान्वित हुई है | पंजाब हरियाणा का क्षेत्र देश का सबसे अधिक उर्वर क्षत्र है, जिससे प्रति व्यक्ति आय देश मैं सबसे अधिक है। लोग बड़े पुरुषार्थी हैं। मीलों तक चौड़ी सीधी कोलतार की सड़कें हैं, जिनके दोनों तरफ मीलों तक हरे-भरे खेत दिखायी देते हैं। भूजल स्तर काफी ऊँचा है और जगह-जगह पानी के पम्प लगे हुए हैं । बसें भाखरा देखकर तलवाड़ा होती हुई दिनांक १६ को प्रातः जैन धर्मशाला जम्मू में पहुँचीं । स्थानकवासी समाज द्वारा इस सुन्दर और बड़ी धर्मशाला की समुचित व्यवस्था की जाती है। कार जिसको दिन में सफर करना था वह तलवाड़ा के वैष्णव मन्दिर में रुकी। रात्रि विश्राम वहीं किया गया। यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था मन्दिर के साथ उपलब्ध करायी जाती है । प्रातः कालीन धार्मिक भजन माइक द्वारा भोर में सुनाये जाते हैं । सारे क्षेत्र की धार्मिक भावना सराहनीय है। कार पठानकोट होती हुई जम्मू दिन को १२ बजे पहुँची । बसें रातभर चली थीं । दिनांक १६ जम्मू से प्रस्थान
श्रीनगर के लिए मिनी बसों की व्यवस्था हेतु प्रो० तेला साहब ने मालूम किया । इतने कम समय में तथा दूसरे दिन दीपमालिका होने से ६ बसों का प्रावधान होना सम्भव नहीं हो सका । डिवीजनल कमिश्नर महोदय की विशेष कृपा से श्रीनगर जाने के लिए हमारी ही बसों को परमिट दे दिया गया कमिश्नर महोदय ने विशेषाधिकार का प्रयोग कर हमें यह सुविधा प्रदान की, जो सम्भवतः वर्ष में एक बार ही किसी को विशेष परिस्थिति में दी जाती है, ऐसा आभास हुआ। हम उनके अनुग्रहीत हैं। डीजल का परमिट भी दिया गया, इसकी असुविधा जगह-जगह रही । जम्मू से वैष्णोदेवी १६ किमी० दूर है जो देखने योग्य स्थान है, किन्तु जा नहीं पाये ।
श्रीनगर के लिए रवाना - शाम को ४ बजे पांचों बसें व कार श्रीनगर के लिए रवाना हुईं। कार ६० कि०मी० दूर उधमपुर डाक बंगले में ठहरी। रानि विधाम नहीं किया। बसें १२० कि०मी० दूर बटोत जाकर रुकी, कुछ घण्टे उन्होंने विश्राम किया ।
दिनांक २० अक्टूबर श्रीनगर पहुँचना - बसों ने प्रातः अपनी यात्रा जारी रखी, कार भो अपनी गति से चल
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org