Book Title: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth
Author(s): Nathmal Tatia, Dev Kothari
Publisher: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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संघ को विशाल ऐतिहासिक यात्रा
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सूरतगढ़ के पास एक बस का पिछला पहिया चलते-चलते निकल गया। इस दूसरी दुर्घटना से भी बच ही गये। यन्त्रीकृत वाहनों में कभी न कभी कोई कारण हो ही जाया करते हैं। तीन घण्टे वहाँ रुके । इस बीच डाइवरों ने शराब का पान कर लिया। एक बस आ गयी। रातभर बसें चलती रहीं। बीकानेर, जोधपुर, पाली होते हुए बसें दि० २६ अक्टूबर को प्रात: १० बजे राणावास लौटीं, उनमें से आगे आने वाली बस प्रातः ३ बजे आ गयी थी।
_अफवाह-दि० २२ की दुर्घटना का समाचार अखबारों में प्रकाशित हो गया था-राजस्थान रोडवेज की छात्रों की पाँच बसों में से एक बस उलट गयी । कोई हताहत नहीं हुआ, फिर भी अफवाहों ने छात्रों के माता-पिताओं को भारी चिन्ता में डाल दिया। कई जगह से राणावास फोन आये। राणावास का बाजार भी अफवाहों से गर्म था। जब सब छात्र मय सामान के सब सुरक्षित लौटे, तो सबको शान्ति मिली। वास्तव में साहस से परिपूर्ण भ्रमण था।
विशाल संघ यात्रा-३०० छात्रों को लेकर गुरु-दर्शन को जाना, काश्मीर की यात्रा करना, किफायतशारी रखना, पहले से कहीं आगे का पूरा प्रबन्ध नहीं करना, छोटे-छोटे बच्चे साथ होना-एक बेमिसाल उदाहरण उपस्थित करता है। राणावास संघ का अनुशासन, निष्ठाशील कार्यकर्ताओं का सहयोग, एक अनुशासित जीवन को प्रतिबिम्बित करते हैं । ऐसा माना जाता है कि छात्रों का सख्त अनुशासित होना आगे के जीवन-निर्माण तथा विकास में बड़ा फलदायक होता है। संघर्ष से कभी नहीं घबराते, इसीलिए व्यावसायिक जगत में देश के दूर-दूर भागों में यहाँ से निकले हुए छात्र बड़े सफल रहे हैं—यह कोई अतिशयोक्ति नहीं है।
श्रद्धेय काका साहब का एक जीवन प्रसंग महत्वपूर्ण संकल्प को जन्म देता है। भविष्य में वे ऐसी कोई यात्रा नहीं करेंगे। काकासा की आत्म-शक्ति का परिचायक है कि इतनी बड़ी विशाल यात्रा का कदम उठा सके । यह यात्रा जीवन से कभी विस्मृत नहीं की जा सकती। संघ के इतिहास में सदा इसका स्थान बना रहेगा और यह अति साहसी कदम आपके अभिनन्दन की महत्त्वपूर्ण कड़ी होगी।
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