Book Title: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth
Author(s): Nathmal Tatia, Dev Kothari
Publisher: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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जैन विश्वभारती, लाडनूं एक परिचय
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की व्यवस्था की गई है। इस केन्द्र में आत्मा, दिव्यात्मा, निद्रा-स्वप्न, अतीन्द्रिय ज्ञान, पुनर्जन्म, प्रेतात्मा, जातिस्मृति, लेश्या और कषाय आदि के सम्बन्ध में प्रायोगिक अनुसन्धान योजनाओं की क्रियान्विति की जाएगी। इसकी प्रयोगशाला में इस प्रकार के आधुनिकतम उपकरण होंगे जिनकी सहायता ने विधिवत् परीक्षण किया जा सके इसके लिए गंगाशहर के नागरिकों द्वारा अनुदान की घोषणा की गई है। यह 'प्रज्ञा प्रदीन' मानसिक चिकित्सा (अध्यात्म-चिकित्सा) की पद्धति के विकास के लिए उपयुक्त विशेषज्ञ के द्वारा रोग मुक्ति का आध्यात्मिक मार्ग प्रस्तुत करेगा । मानसिक चिकित्सा के इस केन्द्र में भय, आवेग एवं कषाय से उत्पन्न विभिन्न क्लेशों से मुक्ति मिल सकती है। इस केन्द्र के अन्तर्गत आसन, प्राणायाम तथा ध्यान की दैनिक कक्षाओं का भी आयोजन किया जाता है। "प्रेज्ञा-ध्यान" नाम से एक मासिक पत्रिका का नियमित प्रकाशन भी किया जा रहा है, जिसमें पानविषयक प्रेरणादायक सामग्री प्रकाशित होती है।
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इस विभाग के अध्यक्ष हैं श्री जेठा भाई एस० जेवेरी एवं निदेशक हैं जैन विश्वभारती के नव निर्वाचित मंत्री परिहारानिवासी श्री श्रीचन्दजी सुराणा । दोनों ही महानुभाव ध्यान एवं योगसाधना में मंजे हुए एवं धानिष्ठ व्यक्ति है।
सेवा विभाग (सेवाभावी कल्याण केन्द्र)
इसका प्रमुख कार्य स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना है । आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को तो महत्त्व दिया ही जायेगा, उसके साथ ही प्राकृतिक चिकित्सा, होमियोपैथिक तथा एलोपैथिक पद्धतियाँ भी अपनायी जायेंगी । रोग मुक्ति के लिए योग-साधना का प्रमुख स्थान रहेगा। एलोपैथिक विभाग में चाड़वास के युवक डॉ० मंगलचन्द वैद की अमूल्य अवैतनिक सेवा उल्लेखनीय हैं। गरीब एवं असहाय रोगियों को निःशुल्क चिकित्सा सेवा का प्रावधान है । आयुर्वेदिक विभाग में वैद्य श्री सोहनलालजी अच्छी सेवा कर रहे हैं। आयुर्वेदिक औषधालय एवं रसायनशाला के माध्यम से प्रति मान लगभग छः सात हजार रोगी लाभान्वित होते हैं। सेवा विभाग की ही एक महत्वपूर्ण प्रवृत्ति है कैंसर चिकित्सा विभाग -- इस विभाग में अब तक असाध्य समझे जाने वाले कैंसर रोग के प्रभावशाली उपचार की खोज में पर्याप्त सफलता मिली है । यह खोज दुर्लभ ग्रन्थों के आधार पर की गई है। कला संस्कृति विभाग
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सरदारशहर निवासी श्री रविप्रकाशजी दूगड़ द्वारा प्रदत्त मुखको ध्यान में रखकर आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित
इसके अन्तर्गतका वीवी" का निर्माण डेढ़ लाख की राशि से किया जा रहा है सुन्दर तथा एक प्रिंटिंग प्रेस भी कलकत्ता की मित्र परिषद के द्वारा प्रदत्त आर्थिक सौजन्य से प्रारम्भ की जायेगी । संस्था के सर्वतोमुखी विकास हेतु चिन्तन एक परामर्शक मण्डल की योजना भी की गयी की एक बैठक गत दिनांक ३० व ३१ अगस्त १९८० को आयोजित की गई। इसमें विकास हेतु एक विकास समिति का गठन किया जाना निश्चित हुआ जिसके गठन का भार श्री गुलाबचंदजी चंडालिया व श्री शुभकरणजी दस्सानी को दिया गया ।
इस प्रकार हम देख रहे हैं कि जैतवारी अपनी चहुँमुखी प्रगति की ओर प्रगतिशील है बड़े हर्ष का विषय है कि इस बार श्री श्रीचंदजी रामपुरिया सर्वसम्मति से इसके पुनः अध्यक्ष चुने गये हैं। इससे भी अधिक हर्ष का विषय यह है कि अब इनके केहर में पड़िहारा निवासी श्री श्रीचंदजी सुराणा का सर्वम्मति से चुनाव कर शक्ति को नवी पीढ़ी को कार्यक्षेत्र में आगे लाने का कार्य प्रारम्भ हो चुका है। वयोवृद्ध अनुभवी हुए महानुभावों के निर्देशन में अगर इस प्रकार युवापीढ़ी को आगे आने का अवसर मिलता रहेगा तो वह संस्था जीघ्र ही सांगोपांग विकास कर सकेगी-ऐसा विश्वास है।
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