Book Title: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth
Author(s): Nathmal Tatia, Dev Kothari
Publisher: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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DISION
कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : प्रथम खण्ड
समाजसेवी श्री केसरीमलजी सराणा राणावास को श्री मेवाड़ जैन श्वेताम्बर तेरापंथी कान्फ्रेन्स द्वारा
समर्पित
अभिनंदन - पत्र
केसरीमलजी सुराणा, काका सा० हमारे हैं और हम सभी आपके हैं । मारवाड़ में रहते हुए जब कभी मेवाड़ की इस वीरभोग्या वसुन्धरा ने याद किया ये कर्मयोगी सेवा और सहायता के लिये इस तरह चले आये, जैसे इन्द्रकोप के समय कृष्ण गोकुलवासियों के लिये दौड गये। फिर हम कैसे कहें कि श्री सुराणा जी हमारे नहीं है । शक्ति के प्रतीक काका सा० की शक्ति, ऐसा कौन सा क्षेत्र है जिसमें नहीं लगी है । जन-जन को अज्ञानान्धकार से उबारने में आपने जीवनपर्यन्त कितनी शक्ति शिक्षा के क्षेत्र में लगाई है, जिसका मूर्त स्वरूप है राणावास में स्थापित शिक्षा केन्द्र "सुमति शिक्षा सदन"। इससे प्रकट होता है कि आप शिक्षा में रुचि रखने वाले ही नहीं वरन् लोक शिक्षण के प्रचेता के रूप ज्ञान के प्रकाश को दिगदिगन्त में फैलाने वाले हैं ।
रीति तो भारतीय संस्कृति की यह रही है कि जो अपने आप में समा गया, अपने कर्म में कर्ममय हो गया वह घुन का पक्का सदा सर्वदा परिवार व समाज में वर्चस्वी रहता आया है । काका सा० को भी हम उसी घुन के धनी व्यक्ति के रूप में पाकर बहुत-बहुत अनुगृहीत है कि चाहे आपको सहयोग मिला या असहयोग आपका विरोध किया गया हो या पीठ थपथपाई गई हो, पर आप सदा सर्वदा अपनी राह पर लाख संघर्षों के बावजूद निर्बाध रूप से गतिमान रहे ।
ममता और समता के ओ साधक ! आपसे हम मेवाड़वासियों ने सदा सर्वदा माँ जैसी ममता एवं साधु जैसी समता पाई। ऐसे कई अवसर आए जब आपका वात्सल्य एवं स्नेह हम सभी के लिए उमड़ पड़ा ।
लगन अगर आपमें हमने कोई देखी तो वह एक मात्र है समाज सेवा की । हमारे पास शब्द नहीं भाव हैं । हमने देखा कि आप अपना सब कुछ छोड़ त्यागी हो गये । गृहस्थ योगी और रम गये समाज सेवा की साधना में । हमें आपकी समाज सेवा से महान प्रेरणा व शक्ति मिलती है।
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सुमति के धनी आप पहले परमार्थ में नगे और फिर आत्मार्थ में यही कारण है कि सुमति शिक्षा सदन के लिये एक करोड़ का कोष बना आप एक मात्र आत्म-साधना में लीन होने जा रहे हैं। आपकी समाज सेवा ने जहाँ हमें प्रकाश दिया वहाँ निस्पृह साधक के रूप में आपकी आत्म-साधना भी हमारे लिये नये कीर्तिमान स्थापित करेगी, ऐसा हमारा विश्वास है ।
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राममय बनकर ओ काका सा० ! जीवन में अगर आपने किसी की साधना की तो वह तेरापंथ शासन एवं शासनपति रूपी शिव की। जिसकी साधना कर राम लंका विजय के लिये निकल पड़े और आप आत्म-विजय के लिये । ओ शासन-निष्ठ आप शतायु हों । नाम लिया तो उसी का लिया जिसके आप हो गये, और काम किया तो उसी का किया जो आपके हो गये । आप समाज के हो गये, समाज आपका हो गया, आप संस्थाओं के हो गये, संस्थाएँ आपकी हो गई । और यों आप हम सभी फूलों में सुगन्ध ज्यों हो गये । आपकी यह फूल जैसी सुगन्ध, मुस्कान और सुन्दरता धरती माँ के कण कण में बिखरे, फैले और सुगन्धमय हो जाय वसुन्धरा ।
लो स्वीकारो हमारा सबका शत्-शत् अभिनन्दन समारोह स्थल
गोमती चौराहा
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हम है आपके समस्त मेवाड़वासी
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