Book Title: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth
Author(s): Nathmal Tatia, Dev Kothari
Publisher: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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सत्र
१९७६-७७ १६७७-७८
१६७८-०६
१९७६-८०
श्री जैन तेरापंथी महाविद्यालय, राणावास
छात्रों की संख्या, सामान्य गतिविधियाँ
६२
७५
६६
६७
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विशेष शिविर
५१
५६
२११
७०
विशेष शिविर - सामान्य कार्यक्रम के अतिरिक्त सत्र में एक बार शीतकालीन अवकाश में विशेष शिविर का आयोजन किया जाता है। इसमें छात्र गोद लिये गये ग्राम के समुन्नत विकास का कार्य अपने हाथ में लेते हैं । अब तक के विशिष्ट शिविरों में किये गये महत्त्वपूर्ण कार्य राणावास स्टेशन तथा मुख्य मार्गों की सड़क निर्माण का कार्य है जिसकी समाज के सभी वर्गों द्वारा भूरि-भूरि प्रशंसा की गई। इसके अतिरिक्त इस इकाई द्वारा सत्र ११७७-०८ में आन्ध्रप्रदेश के तूफान पीड़ितों की सहायतार्थ १०११-०० रुपये का चन्दा एकत्रित किया तथा ६७ वस्त्रों का संग्रह किया गया।
सामान्य गतिविधियां महाविद्यालय में आन्तरिक सड़क निर्माण तथा मैदानों के विकास के सम्पूर्ण कार्यक्र में श्रमदान राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के सदस्यों द्वारा ही किया गया है। अब तक दो बालीबाल फील्ड तथा महाविद्यालय के सामने वाले हाकी एवं फुटबाल फील्ड के विकास कार्य में सेवा योजना के छात्रों की अभूतपूर्व देन है। इसके अतिरिक्त महाविद्यालय भवन से छात्रावास भवन तथा छात्रावास भवन से मुख्य द्वार को जोड़ने वाली सड़क के निर्माण कार्य भी छात्रों द्वारा ही सम्पन्न किये गये। इसके अतिरिक्त राजकीय प्राथमिक पाठशाला के भवन की सफेदी का कार्य भी छात्रों द्वारा सम्पन्न किया गया ।
ग्रामीण वाचनालयों की स्थापना- प्रारम्भ में ग्राम राणावास तथा गुड़ा रामसिंह में छात्र कार्यकर्ताओं द्वारा ग्रामीण वाचनालयों का संचालन किया गया। ये वाचनालय जाति, वर्ण, सम्प्रदाय के भेद बिना सबके लिए खुले हैं । इनके अतिरिक्त दो दैनिक पत्र राष्ट्रीय एवं प्रान्तीय तथा ग्राम विकास सम्बन्धी पत्र-पत्रिकाओं के साथ साप्ताहिक हिन्दुस्तान, धर्मयुग इत्यादि पत्रों की व्यवस्था की जाती है। इनका मुख्य उद्देश्य गाँवों में जागरूकता लाना है और उन्हें एक ऐसा मंच प्रदान करना है जहाँ आकर वे देश- विदेश की ताजा घटनाओं से जुड़ सके । वर्तमान में गुड़ा रामसिंह और सारण में महाविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा वाचनालयों का सफलतापूर्वक संचालन किया जा रहा है ।
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राष्ट्रीय प्रौढ़ शिक्षा सम्बन्धी कार्यक्रम - सर्वप्रथम २४ दिसम्बर ७८ को राष्ट्रीय प्रौढ़ शिक्षा सम्बन्धी कार्यक्रम सम्बन्धी संगोष्ठी का आयोजन महाविद्यालय में किया गया। इसमें विभिन्न क्षेत्रों के आस-पास के विद्यालयों, कार्यक्रम अधिकारियों, समाजसेवियों तथा प्रबुद्ध ग्रामवासियों ने भाग लिया । सन १६७६ - ८० में श्री एस० पी० गांधी, कार्यक्रम अधिकारी राष्ट्रीय सेवा योजना ने राजस्थान विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय प्रौढ़ शिक्षा सम्बन्धी सेमिनार में भाग लिया । इस सत्र में ही महाविद्यालय के उत्साही कार्यकर्त्ताओं द्वारा जटियों के बास में २ माह के लिए प्रयोगात्मक स्तर पर प्रौढ़ शिक्षा केन्द्र का संचालन किया । प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम को और अधिक गतिशील बनाने के लिए प्रो० बी० एल० धाकड़ का उपरोक्त विषय पर व्याख्यान रखा गया जो छात्रों एवं कार्यक्रम अधिकारियों के लिए अत्यन्त प्रेरणाप्रद रहा ।
अन्तर्महाविद्यालय कहानी प्रतियोगिता- इस योजना के अन्तर्गत राष्ट्रीय सेवा योजना के विभिन्न पहलुओं के अवलोकनार्थ अखिल राजस्थान अन्तर्महाविद्यालय कहानी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है।
छात्र परामर्श केन्द्र-छात्रों को रोजगार सम्बन्धी अवसरों से अवगत कराने तथा प्रतिस्पर्धात्मक प्रतिभा के
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