Book Title: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth
Author(s): Nathmal Tatia, Dev Kothari
Publisher: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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श्री सुमति शिक्षा सदन उच्च माध्यमिक विद्यालय, राणावास
शैक्षिक व व्यावसायिक निर्देशन कार्यक्रम
मानवीय अन्तर्निहित क्षमताओं को प्रकाशित कर समाज को विकासोन्मुखी बनाने में निर्देशन प्राणवायु-तुल्य महत्ता रखता है। इसकी महत्ता को स्वीकार कर शिक्षा विभाग ने विद्यालयों में इस प्रवृत्ति को प्रभावी तौर से सन् १९७६ से लागू किया है। इस कार्यक्रम ने शैक्षिक व व्यावसायिक निर्देशन को लागू कर भावी पीढ़ी को पथविमुख होने से बचाने में बहुत बड़ा योगदान दिया है। शिक्षार्थी अपनी रुचि योग्यता एवं क्षमता जानकर अपने भावी जीवन को सही दिशा दे व सम्बन्धित क्षेत्र के महत्त्व व भविष्य को समझकर उसके अनुकूल प्रयासों में लीन हो सके, इसके लिए विभाग ने प्रशिक्षित केरियर मास्टर की व्यवस्था की है। इस शाला में यह प्रवृत्ति सक्रिय रूप से क्रियान्वित की जाती है और उन्हें सही निर्देशन दिया जाता है। छात्रों को विज्ञापित विभिन्न विभागों में रिक्त स्थान बताकर उन्हें फार्म भरवाना, नियुक्तियों की प्रक्रिया की जानकारी देना आदि में मार्ग प्रशस्त किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप सैकण्डरी अथवा हायर सैकण्डरी की योग्यता वाले छात्रों को राजस्व विभाग, विभिन्न कार्यालय लिपिक, तार टेलीफोन ओपरेटर्स, रेलवे विभाग में लिपिक, शिक्षा विभाग के विभिन्न पदों पर गत चार वर्षों के दौरान १०० से अधिक विद्यार्थियों को नियुक्तियाँ प्राप्त हुई हैं। इस निर्देशन की उपयोगिता के कारण स्थानीय महाविद्यालय के विद्यार्थी भी समय-समय पर केरियर मास्टर से परामर्श लेते रहते हैं । इसी कारण अध्ययन के दौरान निर्देशन प्राप्त कर अनेक ने नियुक्तियां प्राप्त की हैं। प्रश्न पेटी के माध्यम से हर महीने औसत ४० विद्यार्थी शैक्षिक व व्यावसायिक निर्देशन प्राप्त करते हैं। वार्षिक परीक्षा की समाप्ति के बाद आठवीं के छात्रों को विषय चयन के साथ-साथ विभिन्न वर्गों की उपयोगिताओं, क्षमताओं, अभिरुचियों का ज्ञान कराकर उनका शैक्षिक निर्देशन प्रतिवर्ष किया जाता है । विभिन्न छात्रवृत्तियों का ज्ञान कराकर सम्बन्धित विद्यार्थीको फार्म भरवाने प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने हेतु तैयार करवाने में भी यह प्रवृत्ति योगदान करती है । केरियर कार्नर को सुसज्जित एवं विभिन्न रोजगारों की सूचियाँ तैयार कर आकर्षक बनाया जाता है।
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'विवेक' बाकि पत्रिका
छात्रों की लेखन कला की अभिव्यक्ति को विकसित करने तथा विद्यालय की गतिविधियों की जानकारी देने हेतु सन् १९५७ से वार्षिक पत्रिका का प्रकाशन किया जा रहा है। सन् १९६१ से इसका नामकरण 'विवेक' रखा गया है। पत्रिका ने सन् १६६६, १९६७ एवं १६६८-६६ ई० में पाली जिला स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया है । पत्रिका शुल्क की कमी एवं मुद्रण में व्यय की अधिकता से सन् १९६५-६६ ई० से इसे प्रति दो वर्ष में एक बार प्रकाशित किया जा रहा है। पत्रिका साहित्य की प्रत्येक विधा से विद्यार्थियों को उद्बोधन देती है और प्रकाश स्तम्भ का कार्य करती है ।
स्काउटिंग
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श्री सुमति शिक्षा सदन, राणावास की स्थापना में मुख्य लक्ष्य बालकों के चरित्र - विकास करने का रहा है । इसी लक्ष्य को ध्यान में रखकर विद्यालय में सन् १९५५ में तत्कालीन प्राधानाध्यापक डॉ० दयालसिंह गहलोत के संरक्षण में स्काउट मास्टर श्री भोपालसिंह राठौड़ के नेतृत्व में स्काउट ट्रंप प्रारम्भ किया गया। स्काउटिंग के कार्य में अपनी विशेष लगन व उत्साह के कारण श्री भोपालसिंह जी राठौड़ की नियुक्ति राजस्थान स्टेट भारत स्काउट्स बगाइड्स में सर्कल आर्गेनाइजर (सी. ओ०) के पद पर हो गई। आज भी वे पानी जिले के सी० ओ० के पद पर कार्य कर रहे हैं। जोधपुर डिविजन में इनका अपना विशिष्ट स्थान है। उनके बाद के स्काउट मास्टरों में श्री देवीलाल शर्मा की स्काउटिंग में विशेष अभिरुचि होने के कारण उनकी भी सी० ओ० के पद पर नियुक्ति हो गई। वर्तमान में ये भोपाल (मध्य प्रदेश) में सहायक राज्य आर्गेनाइजिंग कमिश्नर के पद पर कार्य कर रहे हैं ।
विद्यालय के स्काउट्स प्रतिवर्ष स्थानीय संघ मारवाड़ जंक्शन द्वारा आयोजित टोलीनायक प्रशिक्षण शिविर
व समय-समय पर स्थानीय संघ व डिविजनल स्तर की रैलियों में भाग लेकर अच्छा नाम कमाते रहे हैं। विद्यालय
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