Book Title: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth
Author(s): Nathmal Tatia, Dev Kothari
Publisher: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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इससे करीब-करीब महाविद्यालय के सभी विद्यार्थी लाभान्वित होते हैं इसके अन्तर्गत प्रत्येक विद्यार्थी को कम से कम तीन पुस्तकें तथा बहुत ही निर्धन एवं योग्य विद्यार्थी को पाठ्यक्रम की समस्त पुस्तकें वर्ष भर तक के लिए प्रदान की जाती है।
पुस्तकालय का धार्मिक कक्ष काफी सम्पन्न एवं उपयोगी है। पुस्तकीय शिक्षा के साथ नैतिक शिक्षा का सराह -- नीय सामंजस्य प्रस्तुत कक्ष उपस्थित करता है।
वाचनालय - वर्तमान युग में पत्र-पत्रिकाओं का विशेष महत्त्व है। आज के ज्ञान के द्रुत विकास एवं सामयिक तथ्यों से परिचित होना नितान्त आवश्यक है । वाचनालय अनुभाग पुस्तकालय कक्ष में ही स्थित है तथा १८ प्रतिशत विद्यार्थी, अध्यापक एवं अन्य कर्मचारी इसका उपयोग करते हैं महाविद्यालय पुस्तकालय में कुछ ४८ विभिन्न पत्रपत्रिकाएँ आती हैं, जिनका संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है।
१. दैनिक समाचार पत्रिकाएँ
२.
साप्ताहिक पत्र-पत्रिकाएँ
पालिक
मासिक
५.
हिमासिक
६. त्रैमासिक
७.
वार्षिक
छात्र कल्याणकारी गतिविधियां छात्र कल्याण अधिष्ठाता एवं उनके सहयोगी सामूहिक कठिनाइयों के समाधान हेतु सदा तत्पर रहे हैं। निम्नलिखित माध्यमों से जाती है
१.
क्रम संख्या
२.
३.
४.
३.
५.
४.
६.
(अ) विस्तार भाषण योजना - राणावास से बुद्धिजीवियों के सम्पर्क सूत्र बनाये रखने के उद्देश्य से महाविद्यालय में विस्तार भाषणों का आयोजन किया जाता है। इस योजना में बिना किसी शिक्षण संस्था के भेद के कोई भी व्यक्ति महत्त्वपूर्ण विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत कर सकता है। सामान्यतया वक्ता का विषय पर अच्छा अधिकार होना चाहिए और विषय समसामयिक या अत्यन्त महत्त्व का होना चाहिए। अब तक इस श्रृंखला के अन्तर्गत निम्नांकित विस्तार भाषण का आयोजन हो चुका है।
श्री जैन तेरापंथी महाविद्यालय, राजावास
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वक्ता का नाम
श्री एस० पी० गांधी
प्रो० एस० सी० तेला
श्री रामजीलाल शर्मा
श्री पी० एम० जैन
श्री पी० एम० जैन
श्री एस० पी० गांधी
पद
व्याख्याता, वाणिज्य
प्राचार्य
अध्यापक
व्याख्याता, इतिहास
व्याख्याता, इतिहास
व्याख्याता लेखाकर्म एवं सांख्यिकी
२०७
८
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६
१४
२
१
छात्रों को व्यक्तिगत एवं छात्रों की सहायता की
विषय
भारतीय आयकर विधान में नवीनतम संशोधन
भारत में आर्थिक विनियोजन
शिक्षा में पर्यवेक्षण का महत्त्व भारतीय संविधान में ४२वां संविधान
केन्द्र व राज्यों के सम्बन्ध ४५वें संविधान संशोधन के संदर्भ में आयकर दायित्व एवं [आय का विनियोजन
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०
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