Book Title: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth
Author(s): Nathmal Tatia, Dev Kothari
Publisher: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : द्वितीय खण्ड
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परीक्षा परिणाम के उल्लेखनीय बिन्दु
श्री लूण सिंह चारण कक्षा तृतीय वर्ष वाणिज्य ने सत्र १९७८-७६ की विश्वविद्यालय परीक्षा में पाली जिले में सर्वोच्च अंक प्राप्त कर महाविद्यालय का नाम शिक्षा जगत में गौरवान्वित किया। इसके साथ ही उन्होंने सांख्यिकी विषयों में ६७ प्रतिशत अंक प्राप्त कर उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की।
श्री मदनलाल जीरावला द्वितीय वर्ष वाणिज्य ने सत्र १९७८-७६ की विश्वविद्यालय परीक्षा में प्रश्नपत्र 'सांख्यिकीय विधियाँ' में ९५ प्रतिशत अंक प्राप्त कर उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की।
श्री सतीश चन्द्र जैन कक्षा द्वितीय वर्ष वाणिज्य ने सत्र १९७८-७९ की विश्वविद्यालय परीक्षा में प्रश्न-पत्र 'परिमाणात्मक विधियाँ' में ६४ प्रतिशत अंक प्राप्त कर उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की। महाविद्यालय की विभिन्न प्रबृत्तियाँ
महाविद्यालय योजनाबद्ध क्रम से प्रगति के मार्ग पर अग्रसर है। महाविद्यालय की विभिन्न प्रवृत्तियों के समुचित विकास एवं संचालन हेतु सभी प्रवृत्तियों को मूलतः दो भागों में विभाजित किया गया है।
शैक्षिक गतिविधियाँ--विद्यार्थियों के शैक्षिक एवं बौद्धिक विकास हेतु इसके अन्तर्गत विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जाता है । इनका संचालन शैक्षिक अधिष्ठाता करता है।
छात्र कल्याण सम्बन्धी गतिविधयाँ-छात्रों की विभिन्न व्यक्तिगत एवं सामूहिक समस्याओं के निराकरण, उनकी प्रगति के बाधक तत्त्वों के निवारण तथा विद्याथियों के मार्गदर्शन हेतु इसके अन्तर्गत छात्र कल्याण अधिष्ठाता विभिन्न गतिविधियों का संचालन करता है।
शैक्षिक गतिविधियाँ
(१) पाठ्यक्रम विभाजन-पाठ्यक्रम के सुचारु अध्यापन हेतु प्रत्येक प्राध्यापक एक डायरी अपने पास रखता है। जिसमें वह सम्पूर्ण पाठ्यक्रम को विभिन्न सत्रावधियों में बाँटते हुए प्रत्येक सत्रावधि के पाठ्यक्रम को माह एवं पाक्षिक रूप से बाँटता है। इसी योजना का परिणाम रहता है कि सभी विषयों के पाठ्यक्रम यथासमय सम्पन्न हो जाते हैं तथा करीब एक माह पाठ्यक्रमों के पुनः अवलोकन एवं विद्यार्थियों की कठिनाइयों को हल करने में तथा विगत विश्वविद्यालयी परीक्षाओं के प्रश्न-पत्रों के अवलोकन में लगाया जाता है।
(२) आन्तरिक मूल्यांकन योजना-विद्यार्थियों के शैक्षिक स्तर को सुधारने हेतु महाविद्यालय समय-समय पर गृह-परीक्षाओं का आयोजन करता है। उन परीक्षाओं के प्रश्न-पत्र विद्यालयी परीक्षा प्रणाली के अनुसार बनाये जाते हैं। प्राध्यापकगण इन परीक्षाओं की उत्तर-पुस्तिकाओं की जाँच कर मात्र अंक ही प्रदान नहीं करते वरन् प्रत्येक प्रश्न में रही कमियों का उल्लेख भी करते हैं, ताकि छात्र यह जान सके कि वार्षिक परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए उन्हें अपने प्रश्नोत्तरों का स्तर कैसे सुधारना है। परीक्षा समाप्ति पर प्राध्यापक प्रश्न-पत्र के प्रश्नों का सामान्य विवेचन कक्षाओं में करते हैं । इन गृह-परीक्षाओं में विभिन्न कक्षाओं में अधिकतम अंक प्राप्तकर्ता विद्यार्थियों को पुरस्कृत भी किया जाता है। प्रत्येक परीक्षा की समाप्ति के पश्चात् प्रत्येक विद्यार्थी का प्रगति विवरण उनके अभिभावकों को प्रेषित किया जाता है ।
(३) गृह कार्य-विद्यार्थियों के शैक्षिक स्तर में निरंतर अभिवृद्धि हेतु, नियमित रूप से गृह कार्य करवाया जाता है, जिसे सम्बन्धित प्राध्यापक जाँच कर उत्तर में रही कमियों का उल्लेख भी करता है, ताकि प्रश्नोत्तरों का स्तर मुधर सके और अच्छे अंक प्राप्त किये जा सकें। गृह कार्य में छात्र द्वारा अनियमितता बरतने पर समय-समय पर उनके अभिभावकों को सूचित किया जाता है।
(४) निःशुल्क विशेष कक्षाएं-विभिन्न परीक्षाओं में पूरक परीक्षाओं के योग्य घोषित विद्यार्थियों की सहाय
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