Book Title: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth
Author(s): Nathmal Tatia, Dev Kothari
Publisher: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ । द्वितीय खण्ड
भौगोलिक स्थिति
___ गाँव कटालिया (भिक्ष नगर) दिल्ली-अहमदाबाद रेलवे लाईन के मशहूर स्टेशन सोजत-रोड से १० मील पूर्व में मारवाड़ की जोधपुर रियासत एवं वर्तमान में पाली जिले की खारची तहसील एवं पंचायत समिति का एक सरसब्ज कस्बा है जो २५.८ उत्तरी अक्षांश एवं ७३.८ पूर्वी देशान्तर पर स्थित है।
मध्य-पश्चिम अरावली शृखला से एक मील पश्चिम की तरफ जिसका आकार एक चौकोर पतंग या रेखागणितीय आकृति विषम कोण समचतुर्भुज के समान है । पूर्व में एक तालाब, पश्चिम में राजाओं की छतरियाँ (स्मारक) उत्तर में लीलड़ी नदी जो कि लूनी की सहायक है, स्थित है।
यहाँ की मिट्टी मटमैली व उपजाऊ है, जहाँ दोनों फसलें ली जाती हैं । जलवायु मानसूनी होने के साथसाथ शोत, ग्रीष्म एवं वर्षा तीनों ऋतुओं का परिक्रमण प्रवाहमान है। पानी यहाँ का मीठा एवं स्वास्थ्यवर्द्धक है। पानी की गहराई १० से १५ फुट औसतन है । मुख्य रूप से यहाँ दो फसलें ली जाती हैं
खरीफ की फसल-जिसे स्थानीय लहजे में कातीसरे की फसल कहा जाता है-बाजरा, मूग, मोंठ, चंवला, ग्वार, मक्का, तिल-तिल्ली की पैदावार पर्याप्त मात्रा में होती है।
रबी की फसल-जिसे यहाँ उनाली फसल कहा जाता है, जिसमें गेहूँ, जो, सरसों, जीरा, मेथी, रायरा इत्यादि होते हैं। सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन
राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक चेतना की बाबत जोधपुर संभाग में प्रसिद्ध यह कस्बा धर्म, नैतिकता एवं अनुशासन के क्षेत्र में अतिप्राचीन समय से ही अग्रणी तथा उद्योग एवं शिक्षा के क्षेत्र में बहुत ही पिछड़ा हुआ है।
यहाँ प्राचीन वर्ण परम्परानुसार सभी प्रकार की जातियों के लोग परस्पर भ्रातृत्व भावना एवं सहयोग के आरोह-अवरोह में भिक्षु-नगर के चहुंमुखी विकास के लिए कृतसंकल्प हैं ।
यहाँ सर्वाधिक रावत राजपूतों की बस्ती है। इसके अलावा चौधरी, जैन, माली, मेघवालों के घर हैं। करीबन ६० घर मुसलमानों के हैं । भिक्षु नगर में तेरापंथ सम्प्रदाय के ३५, स्थानकवासी सम्प्रदाय के ३० घर हैं। यहां की कुल आबादी ७००० के करीब है।।
यहाँ सभी धर्मानुयायियों के अपने-अपने अलग-अलग करीब २० छोटे-मोटे मन्दिर हैं। एक मस्जिद एवं उपासरे भी हैं। मुख्य तौर से जैन-मन्दिर, चारभुजाजी, श्री हनुमानजी, महादेवजी, रामेश्वरजी के मन्दिर गांव की शोभा में चार चांद लगाते हैं।
यहाँ धारेश्वर महादेव का एक बहुत ही सुरम्य एवं रमणीक स्थल है जहाँ की विशेषता है कि वहाँ प्रतिष्ठापित शिवजी की मूर्ति पर प्राकृतिक झरने की बूदें लगातार बारह मास गिरती रहती है । आज तक यह विस्मय एवं आश्चर्यजनक सत्य है कि इसका पानी आखिर कहाँ से और कैसे Perpetual Dreaping करता रहता है। यहाँ दूरदूर के पर्यटक देखने के लिए आते हैं।
सांस्कृतिक जीवन के दो मुख्य आकर्षण यहाँ साल में दो मर्तबा लगने वाले मेले (हाट) हैं-(१) शीतला माता का मेला जो चैत्र कृष्णा सप्तमी को एवं (२) नाथजी का मेला जो भादवा सुद बीज को भरा जाता है। जहाँ १५-२० हजार जनसमूह आस-पास के गांवों से इकट्ठा होता है ।
यहाँ मुख्य रूप से होली, दीपावली, रक्षाबन्धन, रामनवमी एवं संवत्सरी के त्योहार इस विकट एवं दम तोड़ती महंगाई के जमाने में भी प्रेम, उल्लास एवं अगाढ़ उत्साह से मनाते हैं।
यहां एक सेकेण्डरी स्कूल व एक प्राथमिक स्कूल हैं । आचार्य भिक्ष राजकीय उ० मा० विद्यालय का भवन भी बन चुका है जिसमें लगभग ५ लाख रुपये व्यय हुए हैं। पांचवीं कक्षा तक की कन्या पाठशाला भी है । अन्य सरकारी
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