Book Title: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth
Author(s): Nathmal Tatia, Dev Kothari
Publisher: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
View full book text
________________
-.
-.
-.
-
.
-.
-.
-.
-
.
-.
-.
-.
-
.
-.
संयमः खलु जीवनम् श्री जैन श्वेताम्बर तरापंथी शिक्षण संघ, राणावास के प्रबल पोषक
श्री केसरीमलजी सुराणा की
पुनीत सेवा में
अभिनन्दन-पत्र संघ के स्वजन!
संघ को आज जो रूप प्राप्त है उसका श्रेय आपकी अनन्य सेवा को ही है। यदि संघ को एक संस्था और आपको उसका सदस्य, कार्यकर्ता या पदाधिकारी मानना चाहें तो उपयुक्त प्रतीत नहीं होता। आपकी अपार अथक सेवाओं से तो यही सिद्ध होता है कि संघ एक परिवार है और उसकी प्रतिपालना में संलग्न आप उसके मूल अंग हैं । सच्चे स्वयंसेवक !
प्रायः सेवा-कार्य के लिए कार्यकर्ताओं की खोज करनी पड़ती है और ऐसे खोजे हुए कार्यकर्ता कार्य में निरन्तर प्रोत्साहित नहीं रहते । विरले ही होते हैं जो अधिक समय तक जोश के साथ कार्य में डटे रह सकें। परन्तु आप तो स्वेच्छा से संघ का भार सदा अपने ऊपर लेने में गौरव मानते रहे हैं और पुरस्कार एवं तिरस्कार की परवाह न कर अपने कार्य में निरन्तर आगे बढ़ते रहे हैं । निःस्वार्थ सेवक!
निःस्वार्थ सेवा सदा सराहनीय है पर निःस्वार्थ सेवा के साथ आप व आपकी सहयोगिनी श्रीमती सुन्दरबाई ने समय-समय पर जो अर्थ साहाय्य किया वह भी अनुकरणीय है। कार्यक्षेत्र में विरोध भी होता है, परन्तु आपने अपनी सहनशीलता से विरोध को जीत लिया एवं अविचलित चित्त से सहन किया। ऐसे निःस्वार्थ सेवी विरले होते हैं। धर्मानुरागी!
___ समाज-सेवा के साथ-साथ आप में धर्म के प्रति अनुराग है। आपके जीवन में सदा से आध्यात्मिकता ही आदर्श रहा है। संघ की स्थापना युवक व बालकों में आध्यात्मिकता का विकास करने के हेतु हुई। इससे आप इस ओर आकृष्ट हुए और आदर्श निकेतन के छात्रों पर धार्मिकता की अमिट छाप आप अपनी धार्मिक रुचि में बैठाते रहे । कर्मवीर!
आप कर्मोपार्जन में बड़े बीर रहे थे तो अब कर्म क्षय करने में भी उससे अधिक वीर हैं । आपने जिस कार्य को हाथ में लिया उसको पूरा करके ही छोड़ा । आपमें कर्तव्यनिष्ठा का एक महान् गुण है जो छात्रों के लिए ही नहीं अपितु सर्व-साधारण के लिए अनुकरणीय है ।
आपने अपनी कार्य तत्परता एवं पुरुषार्थ से संघ के स्वप्नों को साकार कर भावी कार्यकर्ताओं के मार्ग को प्रशस्त कर दिया है एवं संघ की नींव को सुदृढ़ बना दिया है। आप सच्चे अर्थ में कर्मवीर हैं। आपने जो-जो सेवाएँ दी हैं वे संघ के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेगी। हम आपका सहर्ष अभिनन्दन करते हुए कामना करते हैं कि आप अपनी आध्यात्मिक साधना में उत्तरोत्तर अग्रसर होते हुए अपने जीवन को सफल बनायें और संघ को अधिकाधिक आध्यात्मिक एवं नैतिक प्रेरणा देते रहें। आदर्श निकेतन
हम हैं आपके सदैव शुभैषी सदस्यगण राणावास
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी शिक्षण संघ २६-६-५७
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org