Book Title: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth
Author(s): Nathmal Tatia, Dev Kothari
Publisher: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : प्रथम खण्ड
जय भिक्षु
जय तुलसी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, लावासरदारगढ़
की तरफ से श्रीमान् समाजसेवी सर्वगुणसम्पन्न श्रावक श्री केसरीमलजी साहब सुराणा को
__सादर समर्पित
अभिनंदन पत्र
काका केशर सुन्दर काकी है यह जुगती जोड़।
सतत सेवा करते रहो, तपो दिवाली कोड़। मान्यवर सुराणा साहब!
हम आपका क्या अभिनन्दन करें सारा समाज आपका हार्दिक अभिनन्दन कर रहा है। आपने युवावस्था में ही सपत्नी ब्रह्मचर्य व्रत ग्रहण कर गृहस्थाश्रम में रहते हुए भी जो साधना प्रारम्भ की यह एक अनूठा उदाहरण है।
आपकी तेरापंथ शासन एवं शासनपति के प्रति प्रारम्भ से दृढ़ श्रद्धा है। कांठा प्रान्त मर्यादा पुरुषोत्तम आचार्य भिक्षु का जन्म, दीक्षा, अनशन, समाधि एवं प्रमुख विहार क्षेत्र है। इसमें राणावास, मेवाड़-मारवाड़ के मध्य का स्थान है। जिसको उपयुक्त चुनकर यहाँ आपने लगभग पैतीस वर्ष पूर्व तेरापंथ धर्मसंघ की ओर से जैन श्वेताम्बर तेरापंथी मानव हितकारी संघ की स्थापना की।
इस संस्था के प्रति आपका तन, मन, धन एवं सर्वस्व समर्पित है और आप इस कार्य में जी-जान से जुटे हुए हैं एवं चिरकाल तक जुटे रहेंगे।
आपके त्यागमय ओजपूर्ण व्यक्तित्व से धनराशि भी एक एकत्रित होने में कोई कमी नहीं रही। अब पाँच वर्ष से महाविद्यालय भी चल रहा है । इसी संस्था के अन्तर्गत प्राथमिक, माध्यमिक, छात्रावास की भव्य अट्टालिकाएँ, एवं निकट बना बगीचा, खेतीबाड़ी, गौशाला, अतिथिगृह, औषधालय आदि सभी आपकी सूझ-बूझ एवं दूरदर्शिता का ही सुपरिणाम है। अखिल भारतीय जैन महिला शिक्षण संघ की देख-रेख आप द्वारा ही होती है । यहाँ विद्याध्ययन के साथ-साथ चरित्र-विकास एवं आज्ञा-अनुशासन पर विशेष बल दिया जाता है। प्रतिवर्ष विद्वान चारित्रात्माओं के चातु
स हो रहे हैं। आचार्य प्रवर का मर्यादा महोत्सव वि० सं० २०१० में हुआ था और निकट भविष्य में आचार्य प्रवर का चातुर्मास भी होगा और जरूर होगा। यह सब आपके निरन्तर प्रयासों का सुफल है।
राणावास की इस विद्याभूमि में प्रायः सभी प्रान्तों के विद्यार्थी विद्या-अर्जत हेतु आते हैं। यहाँ का परीक्षा परिणाम भी सुन्दर रहता है ।
आपको अपनी धर्मपत्नी श्रीमती सुन्दरदेवी का सदा सहयोग मिलता रहा है ।
आपकी संयम, सादगी, तपस्या का लेखा बहुत लम्बा है जिसे लिखने में हमारी लेखनी असमर्थ है। हम सभी आपका हार्दिक अभिनन्दन करते हुए यही कामना करते हैं कि यह काका-काकी की जोड़ी अमर रहे। त्रुटि के लिए क्षमा ! आपका दिनांक १६ जनवरी, सन् १९७६
आपका नानालाल बाबेल
बहादरमल कछारा अध्यक्ष
मन्त्री श्री जैन श्वे. ते० सभा
श्री जैन श्वे. ते० समा (लावासरदारगढ़)
(लावासरदारगढ़)
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