Book Title: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth
Author(s): Nathmal Tatia, Dev Kothari
Publisher: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन प्रन्थ : प्रथम खण्ड
काम कमाल कर्यो - साध्वी श्री सोहनकुमारी (राजलदेसर)
(तर्ज-बाजरे की रोटी) सिंह केसरी सिंह केसरी बणकर काम कमाल कर्यो। राणावास-संघ संचालन-गुरुतर खंधा भार धर्यो ।टेर।। साधनामय घृत स्यू सींची नींव सांतरी संस्थारी। सुखकर शिक्षा शान्त सुधा पा, भूख मिटावे आत्मारी। अलबेलो योगी सो लागे, जीवन सात्त्विक प्यार भर्यो ॥१॥ ध्यान रखें संस्थारो प्रतिपल, खान-पान परवाह नहीं। धार्मिक संस्कारों में ढाले, बच्चा ने दृढ़ लगन सही। विद्यार्थी जीवन उन्नायक, जग में अनुपम सुयश वर्यो॥२॥ मन्दिरमार्गी कट्टर पहलां, अब कट्टर तेरापंथी। सार निकाले जैन शास्त्र, तेरापंथ तत्त्वाने मंथी। मितभाषी स्वाध्याय भवन में तन्मय बणकर ध्यान धर्यो ॥३॥ शिक्षक वीक्षक सेवक श्रावक, नायक छात्रावासां रो। कर्मठ मन्त्री कार्य कुशल वाह ! स्वागत इक-इक सां-सां रो। 'सोहनी' गुण सुण विस्मय पाई, राणी में संगीत करयो॥४॥
श्रम स्यू फल्यो बगीचो सारो
साध्वी श्री ज्योतिप्रभा (भादरा)
(तर्ज-स्वामी भीखणजी रो नाम) जीवन काकासा रो संघ ने समर्पित सारो। बण्यो प्रेरणा रो स्रोत ओ है अनुभव म्हारो ॥(आंकड़ी)। सीमित खाणो सीमित पीणो, प्रतिमाधारी श्रावक लखिणो । झीणो ज्ञान रस पीणो, निशि दिन काम थांरो ॥१॥ छात्रावास रा प्रमुख आप है, धर्म संघ में गहरी छाप है। साँची श्रद्धा रो सबूत, रहण सहण थाँरो ॥२॥ टाबरियाँ ने खूब पढ़ाया, लाड़ लड़ाया आगे बढ़ाया। बण्यो भारी लाभकारी सहवास थारो ॥३॥ अच्छे संस्कारों में पले हैं, थारे इशारे पर छात्र चले हैं। राजस्थान ने प्रसिद्ध ओ विद्यालय थारो ॥४॥ तेरापंथ हित खूब खप्या थें, गाल्यां सही पण नहीं रुक्या थे, थारे श्रम स्यूं फल्यो है ओ बगीचो सारो ॥५॥ 00
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