Book Title: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth
Author(s): Nathmal Tatia, Dev Kothari
Publisher: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : प्रथम खण्ड
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जुग जुग जीयो०
0 श्री मनोहरमल लोढ़ा (जोधपुर) है अभिनन्दन "श्री केसरी" तेरा, सही पथ पर चलने वाले । सद्गुण समृद्ध जीवन तेरा, वट वृक्ष समान फलने वाले । हे कुलदीपक, हे विद्याप्रमी है कर्मठ कर्ता जन की पुकार यही । पुरुषार्थ प्रबल है स्वाभिमान, तेरी उन्नति इनसे ही हो रही ।। सद्गुण से सम्पन्न युक्त, दुर्व्यसन से हरदम दूर रहने वाले ॥१॥ है अभिनन्दन"" पत्नी संग संघ का भार संभाल, यश पताका शिखर चढ़ाया। हर कार्य सोच समझ कर दुनिया में भारी सूयश कमाया ।। पर उपकार में जीवन लगा, अपना सर्वस्व समाज में लगने वाले ॥२॥ है अभिनन्दन"" विद्या दी जीवन कला समझ बच्चों में शिक्षा का संचार किया। राणावास शिक्षा केन्द्र बनाकर जगमगाता दीप जलाया ॥ मजबूत तुम्हारे कन्धों पर स्कूल का सकल भार ढोने वाले ॥३॥ है अभिनन्दन.... है आशीर्वाद ब्रह्म तुलसी गुरु का फिर क्यूँ न सफलता पाया है। इसी भावना से आगे बढ़, राणावास में शिक्षा कुसुम विकसाया है। अनेक कष्टों को झेलकर यह नूतन वृक्ष लगाने वाले ॥४॥ है अभिनन्दन... बच्चों के नस-नस रग-रग में तेरी अनोखी सेवा प्यारी है। दोनों का परस्पर स्नेह लता से जनता खुशहाली है। गुलशन में हर फूल खिले, रहते रहना इसको पिलाने वाले ॥५॥ है अभिनन्दन जहाँ भी रहो मुस्कराते रहो, दीप की तरह जगमगाते रहो। आपदायें कितनी ही आयें, तनिक भी परवाह न करते रहो॥ अपनी खुशियों की सौरभ जन-जन में फैलाने वाले ॥६॥ है अभिनन्दन...
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छात्र-छात्रा पुत्र-पुत्री सा बतावे तेरा, सब को मोहने वाला। शिक्षक, शिक्षकों के संग, प्रेम से रह, मान सबका बढ़ाने वाला॥ . सादा जीवन उच्च विचार से जन-जन को लुभाने वाले ॥७॥ है अभिनन्दन
जैन समाज हार्दिक अभिनन्दन कर तेरा, हर्ष मनाती अपार। तन-मन-धन अर्पण करने वाले क्या दें हम तुम्हें उपहार ?॥ जुग जुग जीयो "श्री केसरी" समाजसेवी कहलाने वाले ॥८॥ है अभिनन्दन""
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