________________
वर्धमानसूरिकृत आचारदिनकर में प्रतिपादित संस्कारों का तुलनात्मक एवं समीक्षात्मक अध्ययन
69
चौथा द्वार - जिनप्रतिमा के लक्षण। पांचवाँ द्वार - जिनबिंब की प्रतिष्ठा-विधि।
छठवाँ द्वार-मिथ्यात्व का स्वरूप, मिथ्यात्व के भेद एवं उसके त्याग का उपदेशत्व।
सातवाँ द्वार - सम्यक्त्व की महिमा, स्वरूप एवं उसके त्याग का प्ररूपण। आठवाँ द्वार - वासचूर्ण की अभिमंत्रण-विधि। नौवाँ द्वार - सम्यक्त्वव्रत की आरोपण विधि। दसवाँ द्वार - श्रावक-प्रतिमाओं को ग्रहण करने की विधि। ग्यारहवाँ द्वार - उपधान की विधि। बारहवाँ द्वार - मालारोपण की विधि।
तेरहवाँ द्वार - व्रतग्रहण, तपग्रहण-उपधान, प्रवेशादि के समय करने योग्य नंदी की विधि।
चौदहवाँ द्वार - परिग्रह-परिमाण करने की विधि। पन्द्रहवाँ द्वार - प्रव्रज्या-ग्रहण करने की विधि। सोलहवाँ द्वार - विहार की विधि। सत्रहवाँ द्वार - अस्वाध्याय-स्वरूप की विधि। अठारहवाँ द्वार - आवश्यकसूत्र की नंदी-विधि। उन्नीसवाँ द्वार - दशवैकालिकसूत्र की नंदी-विधि। बीसवाँ द्वार - योगोद्वहन संबंधी खमासमणा-विधि। इक्कीसवाँ द्वार - संघट्टादि की विधि। बाईसवाँ द्वार - उपस्थापना की विधि। तेईसवाँ द्वार - लोचप्रवेदन (अनुमति-ग्रहण) की विधि। चौबीसवाँ द्वार - मंडलीतप की विधि। पच्चीसवाँ द्वार - कालग्रहण की विधि। छब्बीसवाँ द्वार - वसतिप्रवेदन की विधि।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org