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शुद्ध जल, आश्विन-कार्त्तिक में गाय का दूध, मार्गशीर्ष-पौष में आँवले का रस, माघ–फाल्गुन में घी और चैत्र–वैशाख में गुड़ अमृत के समान है।38
___ श्रीखंड या गोरस (कच्चा दूध, दही, छाछ) के साथ खमण ढोकला, मूंग मोगर की दाल, भुजिया, कढ़ी, दाल वगैरह नहीं खाना चाहिए। संबोधप्रकरण में कहा गया है - सर्व देश तथा सर्वकाल में सर्व द्विदलयुक्त कच्चे गोरस में पंचेन्द्रिय तथा निगोद के जीव उत्पन्न होते हैं, अर्थात् उनमें फरमन्टेशन (सड़न) उत्पन्न होती है।
आइस्क्रीम, चाकलेट, बिस्किट, शीतलपेय(कोल्डड्रिंक्स) जैसे कोकाकोला आदि, जंकफूड, शराब ये सभी मानसिक, शारीरिक और धार्मिक-दृष्टि से अखाद्य हैं। उपर्युक्त सभी वस्तुओं में हड्डियों का चूर्ण चर्बी आदि मिलाया जाता है। इनमें प्रयुक्त ऐसेन्स जो कई रासायनिक प्रक्रियाओं से निर्मित होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं, अतः विवेकपूर्वक इन खाद्य-पदार्थों का त्याग करना चाहिए।
व्यसन, अर्थात् बुरी आदत, जो इस भव और पर भव में दुःख देने वाली है, जिसमें पान, गुटखा, सुपारी, पान-मसाला, तम्बाकू आदि खादिम पदार्थ हैं, वे भी शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। ये कैंसर, टी.बी., दमा और कई असाध्य रोगों को निमंत्रित करते हैं, इसलिए इनका त्याग करना चाहिए। सिगरेट, बीड़ी, हुक्का आदि के मादक धुएं से इनका सेवन करने वाले स्वयं तो रोगी होते ही हैं, साथ ही परिवार और पर्यावरण को भी प्रदूषित करते हैं, इसलिए विवेकपूर्वक इन सभी चीजों का त्याग करना चाहिए।
अनंतकाय एवं भक्ष्याभक्ष्य -
मोक्षमार्ग में अंतरंग परिणाम प्रधान होते हैं, अर्थात् मोक्षमार्ग की साधना मन के भावों पर आश्रित होती है। जिस प्रकार के हमारे भाव होंगे, वैसी ही हमारी प्रवृत्ति एवं गति होगी। भावों की उच्चता एवं निम्नता का एक कारण हमारे द्वारा किया गया
38 वर्षासु लवणममृतं । शरदि जलं गोपयश्च"। हेमन्त शिशिरे चामलकरसं। घृतं वसन्ते गुड़ श्चान्ते।
- कल्पसूत्र, हिन्दी अनुवाद श्री आनन्दसागर सूरीश्वर जी म.सा. पृ. 170
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