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माया पर विजय कैसे ?
माया-विजय के निम्न उपाय हैं -
1. “सोही उज्जूय भूयस्स, धम्मो सुद्धस्स चिट्ठई"48 – उत्तराध्ययनसूत्र में कहा गया है कि ऋजुभूत-सरल व्यक्ति की ही शुद्धि होती है और सरल हृदय में ही धर्म रूपी पवित्र वस्तु ठहरती है -ऐसा विचार कर हृदय को सरल बनाने का प्रयत्न निरन्तर करते रहना चाहिए।
सरलता धर्म की जननी है। सरलता बिना मुक्ति संभव नहीं है। सुई में प्रवेश लेने हेतु धागे को सीधा होना होता है, सरल नरम साफ-सुथरी जमीन में ही बीज बोया जाता है, उसी प्रकार सरल हृदय में सम्यकत्वरूपी बीज-वपन होता है।
2. मान-विजय के लिए यह निरंतर चिंतन करते रहना चाहिए कि कार्यसिद्धि छल-प्रपंच से नहीं पुण्योदय से होती है। असफलता का योग होने पर छल-माया भी सिद्धि में सहायक नहीं बनती।
3. व्यवहार में दूसरों को ठगना निश्चय में अपने आपको ठगना है -ऐसा विचार बार-बार करते रहना चाहिए।
4. सच्चाई और सरलता मानव-जीवन का सार है, यह समझकर जीवन में इनका आचरण करना चाहिए।
5. छिपकर किए जाने वाले पाप सर्वज्ञ तो जानते ही हैं, प्रकृति भी उसका बदला लेती है, यह सोचकर माया के पापों से बचना चाहिए।
6. प्रतिदिन शाम को दिन भर में की गई प्रवृत्तियों में कहाँ-कहाँ, कितनी-कितनी माया, दिखावा, ठगाई, प्रवंचना आदि का सेवन किया, उसको याद कर भविष्य में ऐसा न करने का दृढ़ संकल्प करना चाहिए।
48 उत्तराध्ययनसूत्र - 3/12
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