________________
जैन दर्शन की संज्ञा की अवधारणा का समीक्षात्मक अध्ययन
अध्याय - 13 (अ) मोह संज्ञा
1. मोह संज्ञा का स्वरूप 2. मोह के प्रकार 3. मोह मोक्ष में बाधक 4. मोह पर विजय कैसे ?
(ब) छोक संडा 1. शोक संज्ञा का स्वरूप 2. शोक आर्तध्यान का ही एक रूप है। 3. शोक के दुष्परिणाम - 4. शोक पर विजय कैसे ?
(स) विचिकित्सा (जुगुप्सा) संडा 1. विचिकित्सा (जुगुप्सा) का स्वरूप 2. जुगुप्सा आवश्यक भी और अनावश्यक भी 3. विचिकित्सा के प्रकार 4. विचिकित्सा पर विजय कैसे ?
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org