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कारण गरीबी की खाई चौड़ी होती जा रही है। अमीर वर्ग में संग्रहवृत्ति के कारण गरीबी की खाई चौड़ी होती जा रही है।, अमीर, अमीर बनता जा रहा है और गरीब वर्ग मंहगाई तथा अपनी निजी आवश्यकता की पूर्ति करने के लिए निरंतर कड़ा परिश्रम कर रहे हैं, फिर भी संग्रह और शोषण की दुष्प्रवृत्तियों के परिणामस्वरूप गरीबी की रेखा से ऊँचा नहीं उठ पा रहा है। जब एक ओर अमीरवर्ग अपने ऐशो-आराम में जीवन व्यतीत करता है, वहीं दूसरी ओर मानव को रोटी के टुकड़े के लिए भी सोचना पड़ता है, तब ही वर्ग संघर्ष का जन्म होता है और सामाजिक शान्ति भंग होती है। इसका मूल कारण संग्रहवृत्ति ही है। 8. विज्ञापन के माध्यम से गलत जानकारी और प्रदूषण -
आधुनिक अर्थशास्त्र का मुख्य सूत्र है – “अनियंत्रित इच्छा ही हमारे लिए कल्याणकारी और विकास का हेतु है। जहाँ इच्छा का नियंत्रण करेगें, विकास अवरूद्ध हो जाएगा। अतः अर्थ को केन्द्र में रखने के लिए विज्ञापनों के माध्यम से लोगों की इच्छाओं को बढ़ाया जाता है और बाजार का विस्तार किया जाता है। विज्ञापनों के मनोवैज्ञानिक प्रभाव का उपयोग करके अपनी आवश्यक अनावश्यक वस्तुओं का विक्रय उपभोक्ताओं से अधिक से अधिक पैसा खींचना इनका मुख्य उद्देश्य हो गया है।
विज्ञापनों के माध्यम से उपभोक्ताओं को सम्मोहित किया जाता है। एडवरटाइजमेंट {Advertisement} की कला सम्मोहन पर खड़ी है। रोज रेडियो, टी. वी. अखबार, पत्र-पत्रिकाओं और सड़कों पर लगे बड़े-बड़े पोस्टर आधुनिक वस्तुओं के प्रति सम्मोहित करते हैं और व्यक्ति सरलता से उन वस्तुओं के प्रति आकर्षित हो जाता है। वास्तव में विज्ञापनों के माध्यम से मात्र गुणवत्ता का ही बखान किया जाता है। उसके दोषों को उजागर नहीं किया जाता। पर वस्तुओं के प्रति सम्मोहित हुआ व्यक्ति अपनी जरूरत, जेब और जग, जहान और जीवन के लाभ हानि की चिन्ता न करते हुए नाना प्रकार की वस्तुओं को खरीदता है, भोगता है और जी भर जाने पर
70 महावीर का अर्थशास्त्र - आचार्य महाप्रज्ञ, पृ. 18
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