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6. काम - विकार उत्पन्न करने वालं अश्लील - साहित्य और वस्त्रों को ग्रहण करने
से ।
7. आधुनिक युग के अश्लील एवं कामुक अंगों के प्रदर्शन करने वाले कपड़े पहनना भी कामवासना को उत्पन्न करते हैं ।
इस प्रकार मैथुन-संज्ञा की उत्पत्ति के उपर्युक्त कारण भी हो सकते हैं
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मैथुन के प्रकार
स्मरण
भारतीय महर्षियों ने मैथुन के आठ प्रकार बताए हैं 1 1. स्मरण, 2. कीर्त्तन, 3. केलि, 4. प्रेक्षण, 5. गुह्यभाषण, 6. संकल्प, 7. अध्यवसाय और 8. सम्भोग । इन आठों प्रकार के मैथुनों का ब्रह्मचर्य - महाव्रत में परित्याग करना होता है। जब तक मन में कुत्सित विचारों का भयंकर विष व्याप्त रहेगा, तब तक वह ब्रह्मचर्य की निर्मल साधना नहीं कर सकता ।
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कामक्रीड़ा सम्बन्धी घटनाओं को याद करना, स्त्री-संबंधी बातों का स्मरण करना। काम–संबंधी बातों का स्मरण करने से मैथुन के संस्कार उत्तेजित होते हैं और व्यक्ति अनुचित कार्य करने के लिए तैयार हो जाता है, अतः संयम की सुरक्षा के लिए काम संबंधी स्मृतियों से बचने का प्रयास करना चाहिए । अशुभ कर्म के उदय से अथवा अशुभ निमित्त के बल से यदि इस प्रकार के कामुक विचार आ जाएं तो तुरंत ही सावधान हो जाना चाहिए । अशुभ विचारों से बचने के लिए मन को सदैव शुभ प्रवृत्ति में जोड़े रखना चाहिए ।
31 स्मरण कीर्तन केलिः प्रेक्षणं गुह्यभाषणं, संकल्पोऽध्यवायश्च क्रिया निर्वृत्तिरेव च । एतन्मैथुमष्टां प्रवदन्ति विवक्षणाः विपरीत - ब्रह्मचर्यमेतदेवाष्ट लक्षणम्
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पातंजलयोग दर्शनम्
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