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इस प्रकार के स्थायी भाव (फोबिया) भय को उत्पन्न करते हैं। फोबिया ग्रीक शब्द है, जिसका अर्थ है- भय। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार फोबिया हमेशा से इन्सानों के साथ रहा है। शक्तिशाली मशीनगनों, खतरनाक ऊँचाइयों, शार्क के जबड़ों, गिद्ध के पंखों, शिकारी कुत्तों के दाँतों, किसी मृत व्यक्ति की आवाज से पैदा होने वाला भय, खून की एक बूंद को भी देखने से उत्पन्न भय, यह अवास्तविक डर (भय) विज्ञान की भाषा में फोबिया कहलाता है। टेलीफोन से लेकर कम्प्यूटर, कार तक के फोबिया खोजे जा चुके हैं। फोबियालिस्ट डॉट कॉम पर एक हजार से ज्यादा फोबिया मौजूद हैं, जिनमें साधारण से लेकर विशिष्ट फोबिया शामिल हैं। 35
फोबिया की कई वजहें होती हैं, कई बच्चे माता-पिता की चेतावनी से फोबियाग्रस्त हो जाते हैं, या फिर कुछ अपने माता-पिता को किसी वस्तु से डरते हुए देखकर डरने लगते हैं। कुछ बच्चों में फोबिया तब विकसित होता है, जब डर की प्रतिक्रिया की अतिशयोक्ति हो जाती है।
डर दिमाग की उपज है, लेकिन इसका असर मन और शरीर -दोनों को प्रभावित करता है। कभी-कभी यह संवेदना इतनी प्रभावशाली होती है कि व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाती है और अस्तित्व के लिए ही खतरा बन जाती है। मन में कहीं यह एहसास मजबूत होने लगता है कि यह डर आपके साथ ही खत्म होगा। परन्तु भारतीय-मनोवैज्ञानिक और डॉ. हॉवर्ड लाइबगोल्ड ने यह स्वीकार किया है कि डर का ईलाज संभव है। उन्होंने दस हजार लोगों को भयानक डरों से मुक्ति दिलवाई है। चाहे वह लोगों के बीच बोलने का डर हो, या ऊँचाई का डर, एलिवेटर का डर हो, या तितलियों का डर, सांप का डर या डॉक्टर के पास जाने का डर। डॉ. फीयर लोगों को अपने डर का सामना करने और उससे निजात दिलवाने के लिए वर्कशाप आयोजित करते हैं। वे कहते हैं कि सभी फोबिया सामान्य चिंताओं और डर की झूठी अतिरंजना हैं। डर सार्वभौमिक है और स्वीकारोक्ति में ही इसका इलाज छिपा है। जब आप खुद को डर की थोड़ी खुराक देते हैं और आपको कुछ नहीं होता, तो
15 अहा! जिंदगी, मई-2010, पृष्ठ-18
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