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किरण २]
मैं क्या हूँ?
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सत्याश्रममें सब धर्मोका मन्दिर बना रक्खा है। नहीं है साधन है, यद्यपि मुख्य साधन है फिर भी प्राथना भी होती है।
एकमात्र साधन नहीं।। मेरी इन बातोंको देखकर बहुतसे लोग मैं मानता हूं कि अन्ध-विश्वासोंके कारण चकित होते हैं, वे मेरे बुद्धिवादी विचारोंके साथ मनुष्यने बहुत-सा अकल्याण किया है। भूत-प्रेत इन बातोंकी संगति नहीं देख पाते । यद्यपि संको- आदिके चक्करमे पड़ वास्तविक चिकित्सासे चवश कहते तो नहीं हैं पर शायद मनमें मोच वंचित रक्खा है, उन्हें खश करने के नामपर धनलेते है कि मैंने अपनी दुकान जमानेके लिये परस्पर जनका नाश किया है इसलिये मैं ऐसे अन्ध-विश्वासोंविरोधी वातोंका यह अजायबघर बना रक्खा है। वे का विरोधी हूँ और मनुष्यको अधिक-से-अधिक भूल जाते है कि दूकान जमानेका यह तरीका बुद्धिवादी बनाना चाहता हूँ । सर्वज्ञताने विकास सबसे अधिक बेकार है। दूकान जमती है पूरा रोक दिया, अपने सम्प्रदायका झूठा घमंड पैदा
आस्तिक बननेसे या पूरा नास्तिक बननेसे। किया, दूसरोंको हीन समझा, इसलिये ऐसी सर्वयही कारण है कि वर्धा आनेको तेरह वर्ष हो ज्ञताका मै विरोधी हूं । में ऐसे ईश्वरका भी चुके, पर वर्धा में अनुयायीके रूपमें तेरह आदमी
विरोधी हूं जो भजनसे या नाम-जापसे खश होता भी नहीं मिले । फिर भी मैं अपने समन्वयपर है, क्योंकि ऐसा ईश्वर कर्तव्यमें उपेक्षा पैदा कराता स्थिर हं और जिन्दगीके अन्त तक, असफलता है, और मनुष्यको चापलूस बनाता है। मैं ऐसी की पराकाष्ठापर पचल्नेपर भी और बिलकुल कहानियोंका भी विरोधी हूं जो प्राजके जीवनअकेला रहनेपर भी स्थिर रहनेका निश्चय है. से मंगत नहीं है, इसलिये या तो वे अविश्वासके वशर्ते कि इस राह मके मत्येश्वरका विरोध कारण निरथक जाती है या विश्वासके कारण न मालूम हो।
मनुप्यको धोखेमें डालती है। प्रागमें डालने मेरा ध्येय क्या है. मेरी नीति या सिद्धांत पर भी नती जलती नहीं, आदि कहानियाँ या तो क्या है जिससे उपयुक्त विरोधी दिखानवाले अविश्वसनीय होनसे बेकार जाती है या कोई विश्वाविचारोंका अजायबघर बना हश्रा हैं. इन बातों स करले तो वह आगमें जलनेवाली स्त्रीको सती का खलामा यद्यपि मेरे साहित्य में है फिर भी संक्षिप्त न मानेगा, इस प्रकार नारियोंके साथ घोर अन्याय
और साफ शब्दोंमे इम बातका पता लग जाय इस- करेगा, इससे में ऐसी कहानियोंका विरोध करता लिय में यहाँ कछ मह देता है। मैं यह तो आशा हूं, भंडा-फोड़ करता हूँ। इस प्रकार बद्धिवादकी नहीं करता कि पाठक उन सब महोंसे सहमत प्रत्येक बात पर मैं उपयोगिताकी दृष्टिसे विचार होजायंगे, पर यह आशा अवश्य करता है कि जिन करता हूं, और उपयोगिताकी कसौटी बनाता हूँ बातोंमें उन्हें परस्पर विरोध दिखाई देता है वह विश्वकल्याण, लोगोंकी मुख-शान्ति । इस प्रकार दिखाई न देगा, अथवा वे मेरे अजायबघरमें एक मैं बुद्धिवादीकी अपेक्षा कल्याणवादी या आनन्दनियमित व्यवस्था देख सकेगे।
वादी अधिक हूँ • बुद्धिवादको मैं तथ्य कहता हूं कल्याणवाद
कल्याणवादको सत्य । १. मेरा ध्येय मनुप्यमात्रको शान्त सुखी,
सत्य और तथ्य संयमी, सदाचारी और एक कुटुम्बीके समान २. सत्य और तथ्यका मै अधिक-से-अधिक बनाना है। बुद्धिवाद या वैज्ञानिक तथ्य इसके साहचर्य पसंद करता हूं, क्योंकि अतथ्य अगर साधनके रूपमे है। बुद्धिवाद मेरे लिये साध्य सत्य भी हो तो भी एक न एक दिन थोड़ा-बहुत