________________
जैन गुहामन्दिर (श्री बालचन्द्र जैन, एम० ए०)
"जैनोंके गहामंदिर उतने प्राचीन नहीं है जितने ग्वालियर किलेके गहामंदिरोंका बोध होता है। अन्य दोनों सम्प्रदायों (ब्राह्मण और बौद्ध) के। उदयगिरि (भेलमा) की गप्तकालीन गुफाएं स्थान शायद उनमेसे एक भी ७ वीं शती से पूर्वका नहीं की दृष्टिमे मध्यभारत ममहमें सम्मिलित की जा
मकती है लेकिन समयकी दृष्टिमे इन्हें पूर्वीय समह "जैन कभी गहानिर्माता रहे ही नहीं"२ के साथ ही जोड़ा जाएगा
उपर्यत दोनों कथन यद्यपि सर्वथा अमत्य है तो भी उस समय है जब विदेशी पंडित जैनधर्म
पूर्वीय समूह को बौद्धधर्म की ही शाग्वा मान रहे थे। उन्हें जैन ध तीर्थकरों और बुद्धकी मूर्तियोंमे कोई मौलिक भंद
"बराबर पहाड़ी गया सीधे रास्ते करीब १५.-१६ प्रतीत न होता था-जैनमूर्तियोंको भी वे चटमे बुद्धमूनि कह देते थे। राजगिरकी मोनभांडार माल और पक्की सड़कसे १६ मील दूर है और गुहा ओंमे उत्कीर्ण जिनाकृतियाँ एस ही समयमे
पटना-गया मार्गपर स्थित बला नामक छोटे-से रेलवे फर्गुसनको बुद्धमूर्तियाँ जॅची थीं और उसने लिम्ब
म्टेशनस ८ मील पूर्वको है । नागार्जुनी पहाड़ी
बराबर पहाड़ीमें करीब १ मीलकी दूरीपर है, दिया था कि वहाँ बहुतसे बुद्ध उत्कीर्ण है । प्रस्तुत
संभव है, इस पहाड़ीपर कभी बौद्ध विद्वान नागानिबंधमे यह दर्शाने का प्रयत्न किया जाएगा कि
जुनक अनुयायियाका अधिकार रहा हो । बराबर जैनोंक गुहामंदिरोंका इतिहास न केवल उतना ही
पहाड़ीमे चार और नागार्जुनीमे तीन गफाएं है। पुराना है जितना कि बौद्धों और ब्राह्मणोंके गुहा
यहाँ गुफाएं खोदना कोई सहज कार्य न था, कठोर मंदिरोंका बल्कि ये उनसे भी अधिक प्राचीन है।।
लिया पत्थरमे इतने विस्तारवाली और काँच जैसी स्थान और समयको दृष्टिसे जैन गहामंदिरां चमकती पालिसयुक्त गफाएं निर्माण करना अत्यन्त को तीन समूहोंमें विभक्त किया जा सकता है। १. व्ययमाध्य था । बराबर पहाड़ीकी गुफाएं अशोक पूर्वीयसमूह, २, पश्चिमीय समूह और ३. मध्यभारत
न और नागार्जुनीकी उमक पौत्र दशरथने
र समूह । पूर्वीयसमूहमे गया जिलेमे बराबर और नागा
- आजीविक साधुओंके निवासके लिए दान की थीं। र्जुनी पहाड़ियोंकी मौर्यकालीन गुफाप, पुरी जिले
(एतिहासिकोका मत है कि इन गुफाओंका दान की खंडगिरि और उदयगिरकी शुगकालीन गुफाएँ करनेवाला दशरथ और जैन ग्रन्थोंमे उल्लेखप्राप्त एवं राजगिरकी पूर्वगप्नकालीन गुफाएं सम्मिलित सम्प्रति एक ही व्यक्ति है) पीछसं४ थी शतीमें ये है; पश्चिमीय समहमें एलोरा, बदामी, ऐहोल आदि
गुफाएं ब्राह्मणों के अधिकारमे श्रागई जब शार्दूल की गफार स्थान पाती हैं और मध्यभारत समूहस वर्माके पुत्र अनन्तवर्माने यहाँ देवमाता कात्यायनी
और महादेवकी मूर्तियाँ स्थापित की। १. फर्गुसन जे०- केवटेम्पिल्स आफ इन्डिया'कृष्ट ४६०।२. उक्र ग्रन्थ पृष्ठ ११.1
बराबर पहाड़ीकी चार गुफाओंमेंसे लोमस