Book Title: Anekant 1949 Book 10 Ank 01 to 12
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust
View full book text
________________
ठाक नहीं बैठती आज उक्त दोनो प्रतियों के आधार पर इसे प्रायः शुद्ध रूप में प्रकाशित किया जाता है - सम्पादक ( शार्दूलविक्रीडितम )
वन्दे तानमरप्रवेकमुकटप्रोत्तारुणप्रस्फुरधाम- स्तोम विमिश्रितापदनखाभीषूत्करा रेजिरे । येषां तीर्थंकरेशिनां सुरसरिद्वारिप्रवाहो यथा, दिव्यदेवनितंबिनीस्तन गलत्काश्मीरपूरान्वितः ||१|| वृषभं त्रिभुवनपति शत-बन्धं मन्दरगिरिमिव धीरमनिन्द्यम् । वन्दे मनमिज-गज-मृगराजं राजित-तनुमजितं जिनराजम् || || संभव दुज्वल गुणमहिमानं संभवजिनप्रतिमप्रतिमानम् । अभिनन्दनमानिन्दित लोकविद्याऽऽलोकित-लोकाऽलोकम ॥ सुमतिं प्रशमित कुन समूह निर्दोलिताखिलक मे समृहम् । बन्दे त पद्मप्रभदेवं देवाऽसुर-नर-कृत-पदसेवम् ॥४॥ सेवक मुनिजनसुरुतरुपार्शवं प्रणमामि प्रथितं च सुपार्श्वम ॥ त्रिभुवनजननयनोत्पलचन्द्र चन्द्रप्रभमवर्जित तन्द्रम ||४|| सुविधि विधु-धवलोज्वलकोति, त्रिभुवनपतिनुतकीर्तित मृतिम । भूतलपति नुतशीतल नार्थ, ध्यान- महाइनल हुतर तिनाथम ॥५॥ स्पष्टानन्तचतुष्टय-निलयं, श्रेयोजिनपतिमपगतविलयम | श्रीवसुज्यतं नुतपादं भव्यजन-प्रिय-दिव्य निनादम् ॥६॥ कोमलकमलदलायतनेत्रं विमलं केवलशम्य सुक्षेत्रम | निर्जित-कन्तुमनन्तजिनेशं वन्द्र मुक्तिव धूपरमेशम ||७|| धम्मं निर्मलशमापन्न' धर्म्म-परायण जनताशरणम् । शान्ति शांतिकरं जनतायाः भक्तिभर-कम-कमलनतायाः ॥ कन्धु' गुणमणिरत्नकरण्डं संमाराम्बुद्धि-तरण- तरण्डम् | श्रमरीतंत्र - चकोरी-चन्द्र अरपरमं पद-विनुत-महेन्द्रम ॥ ॥ उद्धत - मोह-महामटमल्लं मल्लिफुल्लशरं प्रतिमल्लम । सुत्रतमपगत- दोषनिकायं चरणाम्बुजन्तदेव निकायम ॥१०॥ नौमि नर्म गुणरत्नममुद्र योगि-निरूपित-योगसमुद्रम | नील- श्यामल-कोमल - गात्र' नेमिस्वामिनमेनोहात्रम ||११|| फणि-फण मण्डप-मण्डित-देहं पार्शवं निजहिनगत संदेहम | वीरमपार पवित्र चरित्र कर्म महीरुह मूललवित्रम् ||११|| संसाराऽप्रतिमप्रतिबाधं परिनिःक्रमणं केवलबोधंम् । वन्दे मन्दर मस्तक पीठं कृतजन्माभिषवनुतपीठे ॥१२॥ [ घत्ता ]
अननु-गुण-निबद्धामहेतां माघनन्दी (न्दि ) त्रति-रचित- सुवर्णाऽनेकपुष्प-व्रजानाम् । म भवति नुतिमालां यो विधत्ते स्वकण्ठे, प्रियपतिरमर श्री मोक्षलक्ष्मी वधूनाम् ॥

Page Navigation
1 ... 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508