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अनेकान्त
[वर्ष १०
केवल कुछ गांवोंके मालिक रह गये थे । १८५७ की १३० पूर्वी अक्षांश तक फैला है । इसके उत्तर में मैनराज्य-क्रान्तिके अवसरपर उन्होंने अंग्रेजोंकी जोरदार पुरी जिला, पवमें भर्थना तहसील, दक्षिणमे ग्वालिखिलाफत की, इस कारण अंग्रेजोंने उनकी रियासत यरकी सीमा तथा पश्चिमकी मीमा अनिश्चित-सी
को जब्त कर लिया। राजा परतापनेरके चाचा जुहार- है। उत्तर दक्षिण इस तहमालकी श्रीसत लम्बाई सिंह अंग्रेजोंके विशेष कृपापात्र थे, इस कारण चकर २० मील और चौड़ाई २२ मील है । इसका क्षेत्रफल नगरकी जमींदारीका अधिकांश भाग उन्हें दे दिया २७२७६४ एकड़ या ४२६-४ वगेमोल है। गया जिसपर उसके वंशज आजतक कायम हैं। पिछले ३० वर्षोंमें इस तहसीलकी आबादी बढ़ ___ भदावरमें भदौरिया राजपतोंकी तूती बोलती गई है । १८८१ मे यहॉकी आबादी १६३२५१ थी। रही है। बड़पुराके राव हिमचलसिंह बहादुरकी
बादकी गणनामे यह संख्या १६८०२३ हो गई। कामेथसे लेकर कधेसी (पर्गना भथना) तक रिया
१६०१ की गणनामें यहां २१६१४२ जन थे जिनमें सत थी। इनकी रियासत आगरे जिले तक फैली हुई
६६२५१ स्त्रियाँ थी। औसत आबादी ५०७ व्यक्ति थी जिसमें ५६ मुहाल थे। बड़पुरा इनका हेडक्वा
प्रति मील है और यह दूसरे तहसीलोंसे बहुत टर था और नरेन्द्रसिह बड़पुराके रावके नामसे
अधिक है। यदि नगरकी अबादी घटा दी जाय तो विख्यात थे। १८०४ मे जब राव नरेन्द्रसिंहने अंग्रेजों
औमत आवादी केवल ४०८ व्यक्ति प्रति मील के विरुद्ध विद्रोह किया तो अंग्रेजोंने उनकी रियासत
रह जायेगो । धमके हिसाबसे विभाजित करनेपर को डीन लिया। कंवल बडपरा उनके अधिकारमे १६४०१७ हिन्दू, १६६६३ मुसलमान, १९३३ जन. रह गया था। अंग्रेजोंन बादमें उसे भी छीनकर
२०३ भार्य, १६५ ईसाई, १५३ सिख तथा ८ नीलाम कर दिया। बाद में कई पीढ़ियोंके बाद कुछ।
पारसो है । हिन्दुओंमें अहीरोंकी संख्या सबसे गाँव दिये गये जिनपर भदोरियाका अब भी अधि.
__ अधिक है। कार है।
परगनाके रूपमें इटावाका नाम अकबरके समय मलाजनोकी रियासत भी इटाव में है जिसकी स्थापना आता है जब इसमें ७ टप्पा थे जिनके नाम हवेली. परिहार राजपूत जंगजोतन की थी। जब इस राज्यक सतौरा, इन्दवा, बाकीपुर, देहली, जाखन और करराजा महानिह पन्नाक राजासे लड़ते हुये मारे गये हल थे। इममे इन्दवा, जिसको अब कामैथ या बढ़तो उनके लड़के दीपमिह जालोन जिलेक सिद्धपुरा पुरा कहते है, हवेली और सतौरा अब इस तहसोलमें नामक स्थानमे भाग गये थे। दीपसिंहने लाहरके सम्मिलित है। देहली तथा करहल मैनपुरी जिले में राजा और सकरौलीके राजाकी लड़कियोंके साथ मम्मिलित हो गये है।। शादी की। १८५३ मे इन्होंने इटावा जिलेमे ८ गाँव जाखन-जाखन इटावा तहसीलका एक गांव खरीदे और राजाकी उपाधि ग्रहण की। इस छोटी है। उत्तरमै २६-४६ अक्षांश तथा पूर्वमें ७६-५३ पर सी जमीदारी के मालिक मलाजनीके राजा अंग्रेजोंके स्थित है। यह इटावास १८ मील उत्तर-पश्चिम है। बड़े भक्त रहे, इस कारण १८८४ में अंग्रेजोन इनकी १६०१ की गणनाके अनुसार यहांको आबादी राजाकी उपाधिको स्वीकार कर लिया।
२२७५ थी जिनमें प्रमुख राजपूत हैं जो इधर-उधर ___ इटावा तहसील इसी नामके परगनाका वृहत- गांवोंमें फैले है । इनमें नगला, रामसुन्दर, नगलातौर रूप है । यह इस जिलेका पश्चिमी भाग है और प्रमुख है। इस प्राचीन नगरकी स्थिति केवल एक यह २६-३८० अक्षांश उत्तरीसे लेकर २७-१० उत्तरी खेड़ासे ज्ञात होती है जो सौ वर्षसे स्थित है। इसअक्षांश तक तथा ७-४५० पर्वी अक्षांशसे ७६. की प्रसिद्धिका कारण यह है कि प्राचीन बादशाहीके